Lok Sabha Election 2024: सलीम इकबाल शेरवानी ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अखिलेश से नाराजगी जताने वाले वह पहले नेता नहीं हैं. उनसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य और पल्लवी पटेल भी खुलकर अखिलेश यादव के साथ नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. ये दोनों नेता तो पार्टी का साथ भी छोड़ चुके हैं. सलीम इकबाल शेरवानी ने भले ही पार्टी नहीं छोड़ी हो, लेकिन चुनाव से पहले वह कभी भी दूसरी पार्टी का दामन थाम सकते हैं.
शेरवानी ने अखिलेश यादव पर मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाया है. वह लगभग डेढ़ साल पहले ही समाजवादी पार्टी में वापस लौटे थे. लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने अखिलेश यादव पर जो आरोप लगाए हैं, वहीं कारण समाजवादी पार्टी के घटते वोट शेयर की भी वजह हैं.
शेरवानी के लिए क्या गलत हुआ?
सलीम इकबाल शेरवानी को उम्मीद थी कि वह राज्यसभा जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बाद उनकी परंपरागत सीट बदायूं से भी धर्मेंद्र यादव को टिकट दे दिया गया. इसके साथ ही उनके लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदन के दरवाजे समाजवादी पार्टी की तरफ से बंद हो गए. इसी वजह से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है. आने वाले समय में वह पार्टी भी छोड़ सकते हैं.
कैसा रहा शेरवानी का सफर?
पांच बार सांसद रहे शेरवानी ने 1996 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था. समाजवादी पार्टी के टिकट पर वह 2004 तक लगातार चार बार सांसद बने. 2009 में धर्मेंद्र यादव को समाजवादी पार्टी से उनकी जगह टिकट मिला तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. हालांकि, उन्हें हार झेलनी पड़ी. 2019 में भी वह हार गए, लेकिन अगर 2024 में वह फिर से इस सीट पर चुनाव लड़ते हैं तो अखिलेश के चचेरे भाई को मुश्किल में डाल सकते हैं.
सलीम ने क्या आरोप लगाए?
सलीम शेरवानी ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि पार्टी परंपरा के अनुसार राज्यसभा में मुस्लिम नेता को एक सीट देती है, लेकिन उनके कहने के बावजूद किसी को टिकट नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि भले ही उन्हें टिकट नहीं दिया जाता, लेकिन किसी अन्य मुस्लिम उम्मीदवार को मौका दिया जा सकता था. इसके अलावा उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन में कोई एकजुटता नहीं है. सभी दल आपस में ही लड़ रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि मुसलमानों की जायज मांग उठाने के लिए समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दल तैयार नहीं हैं. मुसलमानों की समानता, गरिमा और सुरक्षा की मांग पर भी सपा कोई समर्थन नहीं दे रही है.
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