Sambalpur Lok Sabha Seat: दांव पर लगी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की साख! कांग्रेस का हाल-बेहाल, फिर कौन दे रहा चुनौती?
Lok Sabha Election 2024: संबलपुर लोकसभा सीट बीजेडी का गढ़ मानी जाती है, लेकिन 2019 में भारतीय जनता पार्टी को यहां जीत मिली थी. हालांकि, जीत का अंतर बेहद कम था और इस बार भी कड़ी टक्कर हो सकती है.
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में ओडिशा की संबलपुर लोकसभा सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प है. इस सीट पर छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है, लेकिन सभी पार्टियां अभी से पूरी तैयारी के साथ प्रचार शुरू कर चुकी हैं. 2019 में यहां कांटे की टक्कर हुई थी और बेहद कम अंतर से बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिली थी, लेकिन इस बार कहानी बदल सकती है.
संबलपुर लोकसभा सीट शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ थी. 1967 में पहली बार कांग्रेस उम्मीदवार को यहां जीत मिली. 1971, 80, 84 के चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवार को सफलता मिली. 1991 और 96 में भी कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत हासिल की. इसके बाद बीजेडी अस्तित्व में आई और 1998 से लेकर 2004 तक इस सीट पर कब्जा जमाए रखा. 2009 में कांग्रेस तो 2014 में बीजेडी और 2019 में बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिली.
अब क्या हैं समीकरण?
संबलपुर में जनता बीजेपी सांसद नितेश गंगा देब से खुश नहीं है. उनका रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं है और बीजेडी उम्मीदवार की मजबूत पकड़ उनकी जीत की राह आसान करती है. इसी वजह से पार्टी ने यहां चेहरा बदला है. इस बार केंद्रीय मंत्री रहे धर्मेंद्र प्रधान को टिकट दिया गया है, लेकिन वह भी संबलपुर के लिए कुछ खास नहीं कर पाए हैं. क्षेत्र में सड़क, स्कूल या अस्पताल किसी भी जरूरत को पूरा करने में धर्मेंद्र प्रधान ने खास योगदान नहीं दिया है. इस वजह से उनके लिए भी जीत हासिल करना आसान नहीं होगा.
क्या हैं जातिगत समीकरण
ओडिशा के अनुगुल, देबगढ़ झारसुगुडा और संबलपुर जिले में फैले इस संसदीय क्षेत्र में कुल 7 विधानसभा हैं. 2019 में यहां बीजेपी को 3 और बीजेडी को 4 सीटें मिली थीं. लगभग 20 लाख आबादी वाली इस सीट में 81 फीसदी लोग गांव में रहते हैं. 19 फीसदी लोग शहरों में रहने वाले हैं. 30 फीसदी आदिवासी जनजाति किंगमेकर की भूमिका में रहती है. 17.91 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति हैं. धर्मेंद्र प्रधान को जातिगत समीकरण का फायदा मिल सकता है, लेकिन बीजेडी उम्मीदवार की पकड़ जातिगत समीकरण पर भारी पड़ सकती है.