1992 का वो चुनाव, जब नई दिल्ली सीट पर पहले सुपरस्टार और ‘शॉर्टगन’ में हुआ था महामुकाबला, इसके बाद क्यों ‘काका’ ने जिंदगी भर निभाई दुश्मनी!, जानिए..
Lok Sabha Elections: 1992 में नई दिल्ली सीट पर राजेश खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच चुनावी मुकाबला हुआ था. इस चुनाव में जीत दर्ज करने के बावजूद 'काका' 'शॉर्टगन' से जिदंगी भर के लिए नाराज हो गए थे.
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में तीन चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं और चार चरणों की वोटिंग अभी बाकी है. तमाम राजनीतिक दलों के नेता चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के बयान दे रहे हैं और किसी हद तक गुजर जाने को तैयार हैं. इसी तरह साल 1992 में भी दो दोस्त एक उपचुनाव में आमने-सामने थे. लेकिन चुनाव खत्म होते होते रिश्तों में वो बात नहीं रही. यहां हम आपको दो दस्तों में राजनीति के चलते दुश्मनी या यूं कहें कि मनमुटाव की दास्तां बताते हैं.
1991 का साल था देश में लोकसभा चुनाव हो रहा था और उस समय बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी गांधीनगर और नई दिल्ली सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे. नई दिल्ली से कांग्रेस ने आडवाणी के खिलाफ बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना को को उतारा था. जब चुनाव का नतीजा सामने आया तो बॉलीवुड के ‘काका’ की नई दिल्ली सीट से बहुत ही कम वोटों से हार हुई थी और आडवाणी दोनों सीटों पर विजयी हुए. फिर क्या था लाल कृष्ण आडवाणी ने नई दिल्ली सीट छोड़ दी और यहां 1992 में उपचुनाव हुए और इसी उपचुनाव में दो अभिनेताओं की दोस्ती ‘दुश्मनी’ में बदल गई.
उपचुनाव में इस बार काका के सामने थे बॉलीवुड के 'शॉर्टगन' शत्रुघ्न सिन्हा. उपचुनाव में शुरू से ही राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा पर बढ़त बना ली थी. उन्होंने डोर-टु-डोर कैंपेन के जरिए मतदाताओं से संपर्क साधा और जनता से वादे किए और आखिरकार राजेश खन्ना ने उपचुनाव में शानदार जीत हासिल की. हालांकि, ये जीत शत्रुघ्न सिन्हा के साथ उनकी दोस्ती की कीमत पर आई.
राजेश खन्ना उपचुनाव जीते और 1996 तक नई दिल्ली के सांसद रहे. 1996 में जगमोहन के खिलाफ उन्हें 50 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से हार झेलनी पड़ी. जगमोहन पहले नौकरशाह थे और जनता ने उन्हें दिल खोलकर वोट दिया. इसके बाद राजेश का राजनीति से मोहभंग हो गया और उन्होंने इससे दूरी बना ली. ‘काका’ के करीबी बताते हैं कि राजेश खन्ना अपने बॉलीवुड सहयोगी के उनके खिलाफ लड़ने से बहुत नाराज थे और उन्होंने उनके खिलाफ लड़ने के लिए उन्हें कभी माफ नहीं किया. राजेश खन्ना तो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा की राजनीतिक यात्रा जारी है. शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने कई बार राजेश खन्ना को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने. शत्रुघ्न के खिलाफ वह 25 हजार वोट के अंतर से चुनाव जीते थे, लेकिन कभी अपने दोस्त को माफ नहीं किया. फिलहाल शत्रुघ्न सिन्हा टीएमसी की टिकट पर आसनसोल से चुनावी मैदान में हैं.