Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर समाजवादी पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 27 सीटों पर अपना फोकस बढ़ा दिया है. अखिलेश यादव अलग-अलग जिलों में घूम रहे हैं. 15 दिन में उन्होंने 6 लोकसभा क्षेत्रों का दौरा किया है. 2019 के चुनाव में इन 27 सीटों में से 8 पर ही सपा का जादू चला था बाकी 19 सीटें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास गई थीं. सपा की पिछली बार की स्थिति और इस बार की स्थिति में काफी अंतर है. 2019 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) और राष्ट्रीय जनता दल (RLD) सपा के साथ थे.
इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने बीजेपी से हाथ मिला लिया है. उधर, AIMIM भी मैदान में है. पिछली बार जब सपा, बसपा और आरएलडी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो गठबंधन को 37.3 फीसदी वोट मिला था और बीजेपी को 49.6 फीसद वोट मिला. अब वेस्टर्न यूपी के दोनों मजबूत साथियों के अलग होने से सपा को नुकसान हो सकता है.
आइए जानते हैं अखिलेश की क्यों है पश्चिमी यूपी पर नजर?
पूरे उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी 19 फीसदी से ज्यादा है, लेकिन अगर वेस्टर्न यूपी की बात करें तो यह आंकड़ा 26 फीसद पहुंच जाता है. यानी यहां की कुल आबादी का 26 फीसदी हिस्सा मुस्लिम है. इसके अलावा, पश्चिमी यूपी की कुल 27 में से 21 सीटें ऐसी हैं, जिन पर मुसलमानों की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है. 2019 के चुनाव की बात करें तो 8 सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन को मुसलमानों का 73 फीसदी वोट मिला था, जबकि कांग्रेस को 18 फीसदी. इस बार सपा का गठबंधन कांग्रेस के साथ है. चुनावी आंकड़ों को देखें तो कांग्रेस को तुलनात्मक रूप से कम वोट मिले.
वेस्टर्न यूपी के हिंदू वोट को लेकर चर्चा है कि यह बीजेपी के पास ही जाएगा. बचा मुस्लिम वोट तो इसके तीन दावेदार हैं. पहले नंबर पर अखिलेश यादव, दूसरे पर मायावती और तीसरे नंबर पर असदुद्दीन ओवैसी हैं. इसके अलावा, जयंत चौधरी हिंदू और मुस्लिम दोनों में ही स्वीकार्य हैं तो वह एनडीए के लिए वोट लाने में मदद करेंगे. यही टेंशन अखिलेश यादव को सता रही है. इस बार अखिलेश यादव को तीन मोर्चों पर चुनाव लड़ना होगा. एक तरफ बीजेपी-आरएलडी गठबंधन है, दूसरी तरफ बसपा और तीसरी है एआईएमआईएम. बसपा प्रमुख मायावती साफ कर चुकी हैं वह लोकसभा चुनाव में अकेले उतरेंगी. बीएसपी के गठबंधन में जाने को लेकर काफी चर्चा थी. इस बीच मायावती ने ट्वीट कर साफ कर दिया कि उनका गठबंधन में जाने का कोई प्लान नहीं है और अफवाहें फैलाकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है.
AIMIM ने किया अखिलेश को चैलेंज
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी चैलेंज किया है कि बीजेपी को हराना सपा के बस की बात नहीं है. ओवैसी ने आंकड़ें पेश करते हुए, 'अखिलेश यादव ने 2014 का चुनाव हारा. 2017 का चुनाव हारा, 2019 का लोकसभा का चुनाव हारा और फिर 2022 का विधानसभा का चुनाव हारा. इन चार चुनावों में खासतौर से जो पिछला 2022 में विधानसभा का चुनाव हुआ, समाजवादी पार्टी की हिस्ट्री में इतना मुस्लिम वोट उन्हें कभी नहीं मिला. फिर भी वह बीजेपी को नहीं हरा पाए.' AIMIM ने मेरठ अमरोहा, मुरादाबाद, बदायूं, फिरोजाबाद संभल और आजमगढ़ पर उम्मीदवार उतारने की रणनीति बनाई है.
पार्टी ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि असदुद्दीन ओवैसी भी वेस्टर्न यूपी से मैदान में उतर सकते हैं. AIMIM के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान साहेब का कहना है कि अगर यूपी में गठबंधन नहीं हुआ तो पार्टी 25 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और असदुद्दीन ओवैसी भी मैदान में उतरेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर 5 सीटें AIMIM को मिलती हैं तो गठबंधन होगा नहीं तो पार्टी 25 से ज्यादा सीटों पर लड़ेगी. उनका यह बयान इस ओर इशारा कर रहा है कि AIMIM वेस्टर्न यूपी के मुस्लिम वोट पर सेंध लगाने जा रही है और इसका सबसे ज्यादा नुकसान सपा को होगा.