Lok Sabha Election 2024 Survey: 2024 में आम चुनाव होने में एक साल से भी कम समय बचा है. विपक्षी इंडिया गठबंधन और सत्तारूढ़ एनडीए में चुनावी गतिविधियां तेज होने लगी है. देश भी इस मुकाबले के लिए उत्सुक है. लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया टुडे-सीवोटर ने एक सर्वे किया है, जिसमें लोगों ने बताया कि एनडीए की सबसे बड़ी नाकामी क्या है?


इस महीने जारी हुए मूड ऑफ द नेशन सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. संसदीय सीटों के साथ लोगों ने एनडीए सरकार की नाकामियों के बारे में अपनी राय रखी है. सी-वोटर सर्वे में लोकसभा सीटों में बीजेपी अलायंस को बहुमत मिलता दिखाया गया है. एनडीए को 306 सीटें और इंडिया गठबंधन को 193 सीटों पर जीत मिलने की बात कही गई है. लेकिन विफलता की दृष्टि से बढ़ते दाम, बेरोजगारी, नोटबंदी और सांप्रदायिक दंगे जैसे मुद्दों पर जनता के जवाब चौंकाने वाले हैं. 


मोदी सरकार की नाकामी?
सर्वे में एनडीए सरकार की नाकामी के बारे में लोगों से सवाल किया गया. पूछा गया कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए की सबसे बड़ी नाकामी क्या रही है? इस पर सबसे अधिक लोगों का मानना है कि बढ़ते दाम और महंगाई एनडीए सरकार की बड़ी विफलता है. सर्वे में कुल 25 फीसदी लोगों ने महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. 


जबकि, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर 17 प्रतिशत जनता ने एनडीए सरकार को घेरा है. सर्वे में मोदी सरकार की दूसरी सबसे बड़ी नाकामी बेरोजगारी रही है. वहीं धीमा आर्थिक विकास के मुद्दे पर भी बढ़चढ़ कर लोगों ने अपनी राय दी है. सर्वे के मुताबिक, 12 प्रतिशत लोगों का मानना है कि धीमा विकास मोदी सरकार की तीसरी सबसे बड़ी नाकामी है. 


'अल्पसंख्यक समाज में डर का भाव'
सर्वे में लोगों से कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार के इससे निपटने की व्यवस्था पर सवाल किया गया. इस पर 9 फीसदी लोगों ने अपनी राय रखते इसे एनडीए सरकार की विफलता की श्रेणी में चौथे नंबर पर रखा है. वहीं 2018 में नोटबंदी करने से हुई परेशानी को भी लोगों ने मोदी सरकार की नाकामियों की लिस्ट में रखा है. सर्वे में तीन प्रतिशत लोगों ने नोटबंदी को सरकार की नाकामी बताया है. 


सांप्रदायिक दंगे जैसे गंभीर मुद्दे को लेकर लोगों ने खुलकर अपनी बात रखी. लोगों का मानना है कि सांप्रदायिक दंगे और अल्पसंख्यक समाज में डर का भाव मोदी सरकार की विफलताओं में शामिल है. एनडीए के 9 साल के शासन के दौरान सांप्रदायिक दंगे और अल्पसंख्यकों में डर जैसे कारण को 5 फीसदी लोगों ने सरकार की विफलता बताया है. 


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