TV9 Bharatvarsh opinion poll: BJP ने जिस पीलीभीत सीट से काटा वरुण गांधी का टिकट, वहां 2024 में कौन जीत रहा, सर्वे ने किया खुलासा
Lok Sabha Election: पिछले 2 चुनाव में पीलीभीट सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. 2019 में इस सीट पर वरुण गांधी जीत हासिल कर सांसद बने थे.

Lok Sabha Election 2024 Survey: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पीलीभीत के मौजूदा सांसद वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया है. पार्टी ने उनकी जगह योगी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है. वरुण गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी से टिकट कटने पर वह मायूस हैं. उन्हें उम्मीद थी कि पीलीभीत से उनको फिर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा.
पहले चर्चा थी कि वह बीजेपी से टिकट न मिलने पर निर्दलीय ही मैदान में उतर सकते हैं. पार्टी ने मेनका गांधी को टिकट देकर वरुण गांधी को खुलकर बागी होने का मौका नहीं दिया है. हालांकि, अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होना का खुला ऑफर दिया है.
पीलीभीत में किसकी होगी जीत?
इस बीच टीवी9 भारतवर्ष ने पीलीभीत सीट का सर्वे किया है. सर्वे के मुताबिक इस सीट पर बीजेपी की जीत होती नजर आ रही है. सर्वे में बीजेपी की अगुवाई वाले NDA को प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है, जबकि इंडिया गठबंधन के खाते में महज 7 सीटें मिल सकती हैं. कांग्रेस के खाते में महज एक सीट आ सकती है.
पिछले चुनाव में जीते थे वरुण गांधी
पिछले 2 चुनाव में भी यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. 2019 में इस सीट पर वरुण गांधी ने जीत हासिल की थी और संसद पहुंचे थे. पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन था और ऐसे में यह सीट सपा के खाते में आई. सपा ने यहां से हेमराज वर्मा को मैदान में उतारा. चुनाव में वरुण फिरोज गांधी को 704,549 वोट मिले तो हेमराज के खाते में 448,922 वोट आए.
1990 के बाद पीलीभीत में बीजेपी का दबदबा
1990 के बाद पीलीभीत लोकसभा सीट पर बीजेपी का ज्यादातर कब्जा रहा है. 1952 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत से शुरुआत की थी, लेकिन वह अब तक महज 4 बार ही चुनाव में जीत सकी है. 1991 में बीजेपी के परशुराम गंगवार इस सीट सांसद बने थे और पार्टी का खाता खुला था. इसके 1996 में जनता दल के टिकट पर मेनका गांधी फिर से सांसद चुनी गईं. 1998 और 1999 में वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनी गईं, बाद में वह बीजेपी में आ गईं और 2004 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतीं.
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