Lok Sabha Election 2024: एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) जहां 400 पार के लक्ष्य के साथ चुनावी समर में अपनी नाव को लेकर आगे बढ़ रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस अपना कुनबा बचाने की जंग लड़ रही है. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं वैसे-वैसे कांग्रेस की नाव में छेद भी बढ़ते जा रहे हैं. चुनावी मैदान में उसके कई धुरंधर साथ छोड़कर जा रहे हैं. फिर चाहे पूर्व सीएम हों या पूर्व सांसद और प्रवक्ता ही क्यों न हों. ऐसे कई नाम पार्टी को छोड़कर बीजेपी की नाव में बैठ चुके हैं.
कांग्रेस के लिए यह समस्या किसी एक राज्य से नहीं, बल्कि पूरे देश से सामने आ रही है. पिछले कुछ साल में कांग्रेस के कई बड़े नेता कांग्रेस को छोड़कर जा चुके हैं. पार्टी छोड़ने के लिए कोई संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है तो कोई सनातन विचारधारा से दूरी को वजह बता रहा है. इन सबके बीच कांग्रेस के सामने चुनौती ये है कि अभी वह बीजेपी को हराने की रणनीति बनाए या अपने बिखरते कुनबे को बचाने की.
राजस्थान में लगा सबसे बड़ा झटका
कांग्रेस को राजस्थान में सबसे ज्यादा झटका लगा है. गुरुवार (4 अप्रैल) को उसके दिग्गज प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने बीजेपी की सदस्यता ले ली. उन्होंने पार्टी छोड़ने के पीछे की वजह बताते हुए लिखा कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा. मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं, इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं.
इसके अलावा भी राजस्थान में पार्टी से कई और बड़े नेता जा चुके हैं. राजस्थान में करीब 32 बड़े नेता कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जा चुके हैं. इन बड़े नेताओं में पूर्वमंत्री लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव, पूर्व सांसद लाल बैरवा, पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा, विजयपाल मिर्धा, आलोक बेनीवाल, पूर्व जिला अध्यक्ष भीलवाड़ा रामपाल शर्मा, पूर्व विधायक रामनारायण किसान, अमित व्यास, पूर्व आईएएस ओंकार सिंह चौधरी, गोपाल राम कुकणा, अशोक जांगिड़, प्रिया सिंह मेघवाल, राजस्थान कांग्रेस सेवा दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चौधरी, राजेंद्र परसवाल, शैतान सिंह मेहरड़ा प्रधान पंचायत समिति जोबनेर, रामनारायण झाझड़ा, प्रधान पंचायत समिति झोटवाड़ा, जगन्ननाथ बुरड़क, कर्मवीर चौधरी, कुलदीप देवा, बच्चूसिंह चौधरी, रामलाल मीणा, महेश शर्मा, रणजीत सिंह और मधुसूदन शर्मा जैसे नाम शामिल हैं.
हरियाणा में भी कई दिग्गजों ने छोड़ा हाथ
बात हरियाणा की करें तो यहां भी पार्टी के कई बड़े चेहरे अब बीजेपी में हैं. पिछले महीने पूर्व सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल ने बीजेपी की सदस्यता ली और पार्टी ने उन्हें कुरुक्षेत्र से अपना उम्मीदवार भी बनाया है. इसके अलावा गुरुवार (4 अप्रैल) को पूर्व बॉक्सर विजेंदर भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी में चले गए.
हरियाणा में बीजेपी ने लोकसभा के जिन 10 उम्मीदवारों को टिकट दिया है उनमें से 6 पहले कांग्रेस में रह चुके हैं. अशोक तंवर से लेकर राव इंद्रजीत और अरविंद शर्मा जैसे नेता पहले कांग्रेस में ही हुआ करते थे, लेकिन अब कमल खिलाने के लिए बीजेपी के साथ हैं.
महाराष्ट्र में भी कई बड़े चेहरे गए
महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को पिछले 6 महीने में कई बड़े झटके लग चुके हैं. यहां संजय निरूपम भी पार्टी के खिलाफ बागी हो चुके हैं. बुधवार को उन्होंने इस्तीफा दिया था. आलाकमान ने उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित भी किया है. उनके शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट में जाने की चर्चा है. उन्होंने पार्टी को लेकर कहा है कि कांग्रेस में जय श्री राम या जय सियाराम बोलने पर रोक थी. जय श्री राम सबको बोलना चाहिए. जिसको राम से एतराज़ वो ख़त्म हो जाएगा. श्रीराम देश के आराध्य हैं, देश की आत्मा हैं. जय श्री राम बोलने पर कोई हिचक नहीं होनी चाहिए.
इसके अलावा संजय निरूपम ने पार्टी छोड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह पार्टी में पांच पावर सेंटर को बताई है. उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस में एक पावर सेंटर था, लेकिन अब 5 हैं. सबके अलग विचार हैं. हमारे जैसे लोग इससे परेशान हैं और संगठन खराब हालात में है. इन सबसे अलग महाराष्ट्र से पूर्व सीएम अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा जैसे दिग्गज भी पार्टी छोड़ चुके हैं.
पंजाब में भी बिखरा कुनबा
पिछले 2 साल में पंजाब से भी कई बड़े कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा चुके हैं. इसमें सबसे बड़ा नाम पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंद्र सिंह का है. कभी कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार सुनील जाखड़ भी बीजेपी में जा चुके हैं और अभी प्रदेश अध्यक्ष हैं. हाल ही में पंजाब में रवनीत सिंह बिट्टू ने भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा है.
गुजरात में अर्जुन मोढवाडिया भी निकले
गुजरात की राजनीति में अर्जुन मोढवाडिया को कभी नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता था, लेकिन राम का नाम लेकर कांग्रेस के इस अर्जुन ने पार्टी से नाता तोड़ लिया. पिछले महीने मोढवाडिया विधानसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. अब वह बीजेपी के टिकट पर पोरबंदर से विधानसभा का उपचुनाव लड़ रहे हैं.
क्या है इस बिखराव की वजह?
अभी तक के बड़े नेताओं ने इस्तीफे के पीछे जो वजहें बताई हैं उसमें सबसे बड़ा कारण पार्टी आलाकमान और कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती दूरी निकली है. कई नेता ये कह चुके हैं कि कांग्रेस को सिर्फ कुछ लोग चला रहे हैं. इसके अलावा कुछ नेताओं ने सनातन धर्म को लेकर कांग्रेस के स्टैंड की वजह से भी पार्टी छोड़ने की बात कही है.
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