Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव में अब कुछ हफ्तों का वक्त बाकी है. ऐसे में सभी दलों के कार्यकर्ताओं के बीच टिकट पाने की मारामारी मची हुई है. इस कुछ ऐसे भी मौजूदा सांसदों हैं, जिन्होंने यह घोषणा की है कि वे दोबारा चुनाव नहीं लड़ना चाहते. इन सांसदों में गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा के नाम शामिल हैं.
दोनों सांसदों ने शनिवार ( 2 मार्च) को कुछ ही घंटे के भीतर यह घोषणा की कि वे वे अपने राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त होना चाहते हैं. उनके इस कदम से लोग काफी हैरान हैं, क्योंकि भारतीय राजनीति में ऐसा शायद ही पहले कभी देखने को मिला हो.
बीजेपी ने किया था टिकट न देने का फैसला
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के आंतरिक सर्वे और लंबे समय तक विचार-विमर्श करने के बाद गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा को फिर से टिकट न देने का फैसला किया था. हालांकि, दोनों ने खुद ही चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया.
पूर्वी दिल्ली नहीं बनाया किसी को उम्मीदवार
गौरतलब है कि बीजेपी ने अपनी पहली सूची में गंभीर के निर्वाचन क्षेत्र पूर्वी दिल्ली के लिए किसी भी उम्मीदवार का नाम नहीं घोषित नहीं किया है. वहीं, सिन्हा को झारखंड में उनकी पिछली सीट हजारीबाग से उम्मीदवार के रूप में नामित नहीं किया. दोनों नेताओं ने पिछले चुनाव में टिकट देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद दिया.
क्यों नहीं लड़ना चाहते चुनाव?
गौतम गंभीर ने शनिवार सुबह करीब 10 बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखते हुए कहा, "मैंने माननीय पार्टी अध्यक्ष जेपीनड्डा से मुझे अपने राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त करने का अनुरोध किया है, ताकि मैं अपनी आगामी क्रिकेट प्रतिबद्धताओं पर ध्यान केंद्रित कर सकूं."
इसके बाद जयंत सिन्हा ने भी लगभग इस तरह का पोस्ट किया. उन्होंने कहा, "मैंने माननीय पार्टी अध्यक्ष जेपीनड्डा जी मुझे अपनी चुनावी कर्तव्यों से मुक्त करने का अनुरोध किया है ताकि मैं भारत और दुनिया भर में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर सकूं."
बता दें कि गौतम गंभीर पिछले चुनाव में पहली बार सांसद बने थे, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा लगातार दो बार हजारीबाग से चुने गए थे. सूत्रों ने संकेत दिया कि दोनों सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बहुत लोकप्रिय नहीं थे. ऐसे में 370 सीटें जीतने का लक्ष्य रखने वाली बीजेपी उन्हें नहीं फिर से टिकट न देने का फैसला किया था.
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