नई दिल्ली: अपने दमदार पंच से मुक्केबाजी रिंग में विरोधियों को चारों खाने चित करने वाले ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह का कहना है कि गंदे ‘सिस्टम’ को झेलने के बाद उसे दुरूस्त करने की मंशा उन्हें राजनीति में खींच लाई है. उन्होंने कहा कि जुमलेबाजी की बजाय वह लोगों को ‘न्याय’ दिलाने के लिए काम करेंगे.


ग्यारह बरस पहले बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने विजेंदर पेशेवर सर्किट में भी एशिया पैसीफिक सुपर मिडिलवेट और ओरिएंटल मिडिलवेट खिताब अपने नाम कर चुके हैं . भारतीय मुक्केबाजी के इस ‘पोस्टर ब्वाय’ को कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली से बीजेपी के रमेश विधूड़ी के खिलाफ उतारा है.


हरियाणा में भिवानी के कालूवास गांव से निकले विजेंदर ने कहा ,‘‘ जिंदगी सरप्राइज से भरी है और मेरे लिये यह नयी पारी भी ऐसी ही है.’’ सफल पेशेवर करियर के बीच राजनीति में आने की वजह पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ मैं गांव से निकला हूं . एक ड्राइवर का बेटा हूं और मेरे दादा फौजी थे. एक समय हमारे यहां खाने के लाले होते थे लेकिन मैं यहां तक पहुंचा हूं और मुझे पता है कि सिस्टम कैसा है . मौका मिल रहा है इस गंदे सिस्टम को ठीक करने का, तो क्यों नहीं करूंगा .’’


पूर्वी दिल्ली से बीजेपी ने पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को चुनावी मैदान में उतारा है. विजेंदर ने कहा कि राजनीति को युवाओं की और साफ सुथरे प्रतिनिधियों की जरूरत है. उन्होंने कहा ,‘‘आपराधिक रिकार्ड वाले नेता नहीं होने चाहिये जिन पर कई मुकदमे चल रहे हों . राजनीति को साफ सुथरे लोगों की जरूरत है . भगत सिंह ने कहा था कि जब तक युवा राजनीति में नहीं आयेगा, तब तक देश का भला नहीं हो सकता. मैं यहां लोगों की सेवा करने आया हूं.’


विजेंदर ने कहा ,‘‘ दिल्ली में महिला सुरक्षा, बेरोजगारी, युवाओं की समस्यायें अहम मसले हैं. इन पर फोकस करूंगा और यही मेरा विजन है. मेरी सोच कांग्रेस से मिलती है और मैं उसके साथ ही काम करना चाहता हूं.’’


एयर स्ट्राइक और पुलवामा हमले समेत राष्ट्रवाद को चुनावी मसला बनाने के सवाल पर पद्मश्री से सम्मानित और राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार प्राप्त इस मुक्केबाज ने कहा,‘‘ मैं जुमलेबाजी में नहीं पड़ना चाहता . आम आदमी को रोटी, कपड़ा, मकान चाहिये और कुछ नहीं . आप उनको सपने ही ऐसे दिखा रहे हैं जो पूरे नहीं हो सकते, तो दुख होता है . न्याय तो अब होगा .’’


जाट गुर्जर बहुल इलाके से चुनाव लड़ रहे विजेंदर भी जाट हैं लेकिन उन्होंने कहा कि वह जातिगत आधार पर राजनीति करने नहीं आये. उन्होंने कहा ,‘‘मैं जातिगत राजनीति पर नहीं जाना चाहूंगा. एक खिलाड़ी अपनी जाति के लिये नहीं बल्कि भारत के लिये खेलता है. यह राजनीति का नीचा स्तर है. मेरा फोकस युवाओं और उनकी समस्याओं पर है. लोगों से आसानी से कनेक्ट कर पाना ही मेरी ताकत होगी.’’


उनका मुकाबला भाजपा के धुरंधर सांसद विधूड़़ी से है लेकिन अपनी कामयाबी का उन्हें यकीन है .उन्होंने कहा ,‘‘ लोगों की दुआयें मेरे साथ हैं . मैने रिंग में कभी नहीं देखा कि सामने कौन है और मैं जीतूंगा या नहीं . यहां भी मुझे प्रतिद्वंद्वी का खौफ नहीं है .’’


विजेंदर ने यह भी कहा कि राजनीति में आने के मायने यह नहीं हैं कि वह मुक्केबाजी को अलविदा कह देंगे .उन्होंने कहा ,‘‘एक खिलाड़ी के तौर पर मेरा करियर चलता रहेगा . मेरा अनुबंध यूएस बॉक्सिंग के साथ है लेकिन मैं ज्यादा से ज्यादा दिल्ली में रहूंगा . खेलों के लिये भी काम करूंगा और कोशिश करूंगा कि युवाओं को ज्यादा मौके मिल सकें.


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