Lok Sabha Election 2019: चुनाव आयोग के आम चुनाव की तारीखों की एलान करने के साथ ही राजनीतिक पार्टियां आधिकारिक तौर पर अपना प्रचार अभियान शुरू कर देंगी. वैसे तो कहा जाता है कि देश की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है, लेकिन यूपी के अलावा चार और बड़े राज्य हैं जो कि केंद्र में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं. यूपी के अलावा इन चारों बड़े राज्यों महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु पर भी सभी पार्टियों की नज़र होगी.


महाराष्ट्र 48 लोकसभा सीटों के साथ सबसे ज्यादा सांसद चुने जाने के मामले में देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. 2014 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को 48 में से 42 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं यूपीए के खाते में सिर्फ 6 सीटें आई थीं.


पश्चिम बंगाल 42 सीटों के साथ लोकसभा में तीसरा सबसे ज्यादा सांसद भेजने वाला राज्या है. 2014 में पश्चिम बंगाल ऐसा राज्य जहां मोदी लहर का असर देखने को नहीं मिला था. ममता बनर्जी की पार्टी को 2014 में 42 में से 34 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस के चार सांसदों को जीत मिली थी, जबकि लेफ्ट और बीजेपी के दो-दो सांसद चुने गए थे.


2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिलाने में यूपी के अलावा बिहार ने भी निर्णायक भूमिका निभाई थी. 2014 में बिहार में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को 40 में से 31 सीटें मिली थी, जबकि यूपीए के खाते में 7 सीटें आई थी. एनडीए और यूपीए दोनों से ही अलग चुनाव लड़ने वाली जेडीयू सिर्फ दो सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब रही थी.


तमिलनाडु में भी मोदी लहर का कोई असर देखने को नहीं मिला था. 2014 के लोकसभा चुनाव में जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने राज्य की 39 में से 37 सीटों पर जीत दर्ज की. एनडीए के हिस्से में इस राज्य के दो सीटें आई थीं, जबकि डीएमके और कांग्रेस का गठबंधन खाता भी नहीं खोल पाया.


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