Share Market On Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. इस बार के नजीतों में किसी भी एक पार्टी को बहुमत का आंकड़ा नहीं मिल पाया है और गठबंधन की सरकार का बनना तय है. फिलहाल एनडीए 292 सांसदों के साथ सरकार बनाने की प्रबल दावेदार है वहीं इंडिया गठबंधन भी 233 सीटों के साथ जोड़-तोड़ में लगी है. इन परिणामों के बीच 4 जून को शेयर बाजार का रिएक्शन सिर्फ एक ट्रेलर था. मंगलवार को शेयर बाजार पौने 6 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ. आज बाजार बढ़त के साथ खुला और सेंसेक्स-निफ्टी दोनों इंडेक्स ने हरे निशान पर कारोबार शुरू किया.


आज (बुधवार) सेंसेक्स जहां 600 अंकों से ज्यादा बढ़त लेकर खुला, वहीं निफ्टी भी 200 अंकों से ज्यादा की तेजी लेकर खुला. निफ्टी बैंक भी अच्छी तेजी पर था. हालांकि, बाजार में तेज उतार-चढ़ाव बना हुआ था.शेयर बाजार में शुरुआती तेजी के बाद कुछ देर तक उतार-चढ़ाव दिखा, लेकिन सुबह 11.30 बजे तक एक बार फिर स्टोक मार्केट ने तूफानी रफ्तार पकड़ ली और बीएसई-सेंसेक्स (Sensex) 1,701.97 अंक या 2.45 फीसदी की जोरदार उछाल के साथ 73,800.15 के लेवल पर, जबकि एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) 530.85 अंक या 3.43 फीसदी की तेजी लेते हुए 22,415.35 के स्तर पर कारोबार करता दिखाई दिया.


'निवेशकों के हाथ निराशा ही निराशा'


भारत के चुनावों का रिजल्ट हो और विदेशी एजेंसियां दिलचस्पी ना ले ऐसा हो सकता है क्या? परिणमों और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच अमेरिका की ब्रोकरेज फर्म यूबीएस ने अपनी रिपोर्ट कहा है कि एनडीए सत्ता में आए या फिर कोई और, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने या फिर कोई दूसरा शख्स. निवेशकों को निराशा ही हाथ लग सकती है. यूबीएस ने अपनी रिपोर्ट में तीन सिनेरियो को सामने रखा है. इन तीनों परिस्थितियों में बाजार की स्थिति वैसी नहीं रहने वाली है, जिस तरह की बीते 10 सालों में देखने को मिली थी. आइए यूबीएस के तीन सिनेरियो के आसरे समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर शेयर बाजार किस तरह से रिएक्ट करता हुआ दिखाई दे सकता है?


शेयर बाजार में अस्थिरता


यूबीएस ने अपने पहले सिनेरियो में जो बात कही है वो काफी दिलचस्प है. अगर नरेंद्र मोदी विशुद्ध एनडीए सरकार में प्रधानमंत्री बनते हैं तो सरकार वैसी दमदार नहीं होगी, जिस तरह से बीते 10 वर्षों में देखने को मिली थी. ऐसे में शेयर बाजार में अस्थिरता देखने को मिल सकता है. क्योंकि शेयर बाजार को एक स्थिर सरकार पसंद है.


पिछले 10 सालों में निवेशकों की हुई थी चांदी


बीते 10 सालों की बात करें तो सेंसेक्स ने निवेशकों को 3 जून 2024 तक 217 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में सेंसेक्स ने 61 फीसदी का रिटर्न दिया था. जबकि दूसरे दौर में 97 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला. अब जब नरेंद्र मोदी अगले 5 साल ‘खिचड़ी’ सरकार का नेतृत्व करेंगे तो शेयर बाजार में वैसी ही तेजी देखने को मिलेगी? ये अपने आप में एक मुश्किल सवाल है.


मोदी नहीं बने पीएम तो?


यूबीएस ने एक दूसरी परिस्थति भी खड़ी की है. अगर एनडीए सरकार बिना नरेंद्र मोदी के फेस के बने तो? जी हां, ये भी संभव हो सकता है. एनडीए के घटक दल एक नए चेहरे को भी सामने खड़ा सकते हैं. ऐसे में शेयर बाजार का रिएक्शन कैसा होगा? ये भी अपने आप में बड़ा सवाल है. जानकारों की मानें तो ऐसी परिस्थितियों में भी शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है. उसका कारण भी है. शेयर बाजार का सेंटीमेंट नए चेहरे को देखकर गड़बड़ा सकता है. भले ही नया पीएम पुरानी पॉलिसी को चेंज ना करें, लेकिन उन पॉलिसी को समझने और उन्हें सुचारू रूप से चलाने में मुश्किल खड़ी हो सकती है. दूसरी बात ये है कि क्या नया पीएम फेस शेयर बाजार निवेशकों को पसंद भी आएगा? ये भी बड़ा सवाल होगा. ऐसे में निवेशकों को नुकसान की गारंटी मिलनी तय मानी जा सकती है.


मंगलवार को निवेशकों के  31 लाख करोड़ रुपये डूबे 


बता दें कि मंगलवार सुबह 9.15 बजे पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स (Sensex) 1700 अंक, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 400 अंक फिसलकर खुला था.  फिर जैसे-जैसे चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए, बाजार बिखरता चला गया. दोपहर के 12 बजे के आस-पास सेंसेक्स 6094 अंक तक टूट गया था और निफ्टी भी 1900 अंक तक फिसल गया था. हालांकि, मार्केट क्लोज होने तक इसमें रिकवरी देखने को मिली और सेंसेक्स में 4389.73 अंक या 5.74 फीसदी गिरकर 72,079.05 पर बंद हुआ और निफ्टी में 1379.40 या 5.93 फीसदी टूटकर 21,884.50 के लेवल पर क्लोज हुआ था. शेयर बाजार में आई इस सुनामी में स्टोक मार्केट इन्वेस्टर्स के 31 लाख करोड़ रुपये डूब गए.