2019 की 19 महिलाएं: अपनी राजनीतिक तजुर्बे से कांग्रेस को मजबूत करने वाली शीला दीक्षित पर एक बार फिर 'बड़ी जिम्मेदारी'
शीला दीक्षित का नाम राजनीति में किसी परिचय की मोहताज नहीं है. उनका कद कांग्रेस पार्टी में बड़े नेता की है. उनका राजनीतिक सफर भी काफी लंबा रहा है.
नई दिल्ली: देश और दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी प्रतिभा का प्रमाण देकर आज महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर रही हैं. राजनीति में वैसे तो कई महिलाओ का अहम् योगदान है लेकिन उनमे से कुछ ही महिलाओ को प्रसद्धि मिली है. ऐसा ही एक नाम राजनीति में शीला दीक्षित का है. शीला दीक्षित का नाम राजनीति में किसी परिचय की मोहताज नहीं है. उनका कद कांग्रेस पार्टी में बड़े नेता की है. उनका राजनीतिक सफर भी काफी लंबा रहा है. इन्हें राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव है. इन्होंने केन्द्रीय सरकार में 1986 से 1989 तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था. पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं. 1984 - 89 में इन्होंने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने लोक सभा की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया. इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष रहीं और अभी भी हैं.
शीला दीक्षित का व्यक्तिगत जीवन
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ है. शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की है. उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीला एक बेटे और एक बेटी की मां हैं. उनके बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के सांसद हैं. दरअसल, मिरांडा हाउस से पढ़ाई के दौरान ही उनकी राजनीति में रुचि थी.
शीला दीक्षित का सियासी सफर
राजनीति में आने से पहले वे कई संगठनों से जुड़ी रही हैं और उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए दिल्ली में दो हॉस्टल भी बनवाए. 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उप्र) से सांसद रहीं. इस दौरान वह लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं. वे बाद में केन्द्रीय मंत्री भी रहीं. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए शीला दीक्षित ने वर्ष 1998 में कांग्रेस को दिल्ली में जीत दिलवाई. शीला साल 1998 से 2013 तक तीन कार्यकाल में दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुकी हैं. इसके बाद साल 2014 के बाद वह केरल की राज्यपाल बनीं. फिलहाल वह कांग्रेस की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हैं.
एक बार फिर दिल्ली में कांग्रेस का बेरा पार लगाने की जिम्मेदारी
शीला दीक्षित ने दिल्ली में कांग्रेस पार्टी को हमेशा से मजबूत करने में सफलता प्राप्त की है. एक बार फिर दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी शीला दीक्षित के कंधों पर है. अब वह इस बार कितना कामयाब हो पाती है ये तो 23 मई को आने वाले नतीजे ही बताएंगे.
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