प्रयागराज: साधू-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस चुनाव में किसी भी सियासी पार्टी को समर्थन नहीं करने का फैसला किया है. परिषद ने फैसला किया है कि इस चुनाव लोकसभा चुनाव में वह किसी भी राजनीतिक दल और उम्मीदवार को जिताने या उसके खिलाफ वोट करने के लिए मतदाताओं के बीच कोई अपील नहीं करेगा. अखाड़ा परिषद के इस फैसले से बीजेपी और समाजवादी पार्टी समेत दूसरे सियासी दलों की उम्मीदों पर वोटिंग से ठीक पहले पानी फ़िर गया है. बीजेपी को साधू संतों का हितैषी माना जाता है, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के सपा मुखिया अखिलेश यादव से बेहद करीबी रिश्ते हैं.


अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक़ तमाम पार्टियों ने समर्थन के लिए साधू संतों की सबसे बड़ी संस्था से संपर्क किया था, लेकिन परिषद ने किसी को भी समर्थन नहीं करने का फैसला किया है. उनका कहना है कि सच्चे साधू सन्यासी या धर्मगुरु कभी किसी पार्टी के लिए न तो प्रचार करते हैं और न ही उसका समर्थन करते हैं. उन्होंने मतदाताओं से लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने और मतदान में ज़रूर शामिल होने की अपील की है.


बता दें कि साधू संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बीजेपी द्वारा राम मंदिर मुद्दे को अपने संकल्प पत्र में जगह दिए जाने पर नाखुशी जताई है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बावजूद पिछले पांच सालों में मंदिर के लिए कुछ ठोस नहीं किया, ऐसे में इस मुद्दे को अब सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ देना चाहिए और राजनीतिक पार्टियों को इस मुद्दे से खुद को अलग कर लेना चाहिए. महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक़ राम मंदिर पर अब सभी को अदालत का फैसले का इंतजार करना चाहिए और इस पर सियासत बंद होनी चाहिए.




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