नई दिल्ली:  इस चुनाव में एक बार फिर परिवारवाद का मुद्दा जोर शोर से उठ रहा है. करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों में एक बात कॉमन है, वह है परिवारवाद. किसी की पांचवी पीढ़ी तो किसी की दूसरी-तीसरी पीढ़ी न सिर्फ राजनीति में है बल्कि पार्टी पर भी उसका कब्जा है. लेकिन क्या यह लोकसभा चुनाव में आम लोगों के लिए मुद्दा है?

बीजेपी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्यादातर रैलियों में परिवारवाद-वंशवाद का जिक्र करते हैं. उनके निशाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तो होते ही हैं, साथ ही वह जिस भी राज्य में इन दिनों जाते हैं उस राज्य की विपक्षी पार्टियों पर परिवारवाद के बहाने बरसते हैं. विपक्ष में शायद ही कोई कद्दावर नेता है जो परिवारवाद के मसले को मंच से उठाता है. इसकी बड़ी वजह खुद की पार्टी में परिवार के वर्चस्व का होना है. लेकिन सत्तारूढ़ बीजेपी परिवारवाद पर आक्रामक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार के मुज्जफरपुर की रैली को ही देखें तो उन्होंने गांधी परिवार के साथ-साथ लालू परिवार को जमकर खरी-खोटी सुनाई. लेकिन मंच पर ही मौजूद लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष रामविलास पासवान पर चुप रहे.

दरअसल सत्तारूढ़ पार्टी के निशाने पर सबसे ज्यादा है कांग्रेस. देश की राजनीति में जब भी परिवारवाद का मुद्दा उठता है सबसे पहले निशाने पर आती है कांग्रेस औऱ नेहरू-गांधी परिवार. राजनीति में गांधी परिवार की यह पांचवी पीढ़ी है. राहुल गांधी परिवार से बनने वाले छठे कांग्रेस अध्यक्ष हैं.  मोतीलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के लोग पार्टी में अहम पदों पर रहे, चुनाव लड़े, पार्टी अध्यक्ष बने औऱ पार्टी के सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री बने. इस चुनाव की बात करें तो राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष औऱ पीएम उम्मीदवार हैं. दो चुनाव क्षेत्र अमेठी और वायनाड से मैदान में हैं. उनकी मां सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ रही हैं.  बहन प्रियंका गांधी पार्टी की महासचिव हैं और उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का जिम्मा दिया गया है.



कांग्रेस में परिवारवाद यही तक सीमित नही है. इस चुनाव की बात करें तो  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद छिंदवाड़ा विधानसभा उपचुनाव से लड़ रहे हैं तो उनके बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा लोकसभा से टिकट दिया है. दिग्विजय सिंह को भोपाल से चुनावी मैदान में हैं तो  उनके बेटे जयवर्धन कमलनाथ सरकार में मंत्री हैं. ज्योतिरादिय सिंधिया गुना से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके दिवंगत पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे. सीधी लोकसभा सीट से कांग्रेस ने दिग्गज नेता रहे अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह टिकट दिया है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर सीट से मैदान में हैं. कांग्रेस ने बाड़मेर सीट से मानवेंद्र सिंह को टिकट दिया है. वे पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी नेता जसवंत सिंह के बेटे हैं. उप-मुख्यमंत्री सचिन पालयट के पास राजस्थान में चुनाव प्रचार का जिम्मा है. सचिन राजेश पायलट के बेटे हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी प्रणीत कौर को पटियाला से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह के पोते को लुधियाना से टिकट दिया है. सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भी परिवारवाद के चलते ही राजनीति में आए. उनके चचेरे भाई गुरकीरत सिंह कोटली ने विधानसभा चुनाव में खन्ना से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

पंजाब से सटे हरियाणा की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस ने रोहतक से टिकट दिया है. कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को हिसार से उम्मीदवार बनाया गया है. कुलदीप बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं.

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सुखराम के पोते आश्रय शर्मा को मंडी से टिकट दिया है. आश्रय शर्मा के पिता अनिल शर्मा ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश की बीजेपी की सरकार से इस्तीफा दिया है.

महाराष्ट्र में मुंबई उत्तर-मध्य सीट से कांग्रेस ने प्रिया दत्त को उम्मीदवार बनाया है. प्रिया दत्त कांग्रेस के सांसद औऱ केन्द्र में मंत्री रहे सुनील दत्त की बेटी हैं. मिलिंद देवड़ा को दक्षिण मुंबई सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. मिलिंद कद्दावर नेता रहे मुरली देवड़ा के बेटे हैं. जम्मू-कश्मीर की बात करें तो यहां कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह के बेटे बिक्रमादित्य को उधमपुर से टिकट दिया है.

कर्नाटक की बेंगलोर ग्रामीण से वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश को टिकट दिया गया है. तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को पार्टी ने उतारा है. असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई को असम के कालियाबोर से उम्मीदवार बनाया गया है.

बिहार की बात करें तो कांग्रेस ने पूर्णिया सीट से दो बार सांसद रहीं माधुरी सिंह के बेटे उदय सिंह को टिकट दिया है. राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह के बेटे आकाश कुमार सिंह को आरएलएसपी ने पूर्वी चंपारण से टिकट दिया है. पार्टी ने बालेश्वर राम के बेटे अशोक कुमार समस्तीपुर से उतारा है. मुंगेर सीट से कांग्रेस ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति आजाद को झारखंड के धनबाद से टिकट दिया है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने तनुज पुनिया को बाराबंकी से टिकट दिया है. तनुज के पिता पीएल पुनिया कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. पार्टी ने जितिन प्रसाद को धरौरा से टिकट दिया. वे जितेंद्र प्रसाद से बेटे हैं, जितेंद्र प्रसाद की पत्नी भी चुनाव लड़ चुकी हैं.

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पश्चिम बंगाल की बात करें तो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी को जंगीपुर से टिकट दिया गया है. दीपा दास मुंशी को रायगंज से टिकट दिया गया है. दीपा केंद्रीय मंत्री रहे प्रियरंजन दासमुंशी की पत्नी हैं.

समाजवादी पार्टी ने तो मुलायम परिवार के पांच सदस्यों को टिकट दिये हैं. अखिलेश यादव आजमगढ़ से तो उनकी पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से चुनाव लड़ रही हैं. मुलायम सिंह यादव खुद मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके भाई और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव फीरोजाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं. मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव बदायूं से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं उनके एक और भाई शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी से अलग होकर फीरोजाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं.

यही हाल कांग्रेस के गठबंधन सहयोगियों का है. कांग्रेस की सहयोगी जेडीएस के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा टुमकुर से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं उनके पोते- प्रज्ज्वल रेवेन्ना हासन से और निखिल गौड़ा मांड्या से उम्मीदवार हैं. देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं और उनकी पत्नी विधायक.

डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन की बहन कनिमोझी तूतीकोरिन से उम्मीदवार हैं. कनिमोझी के दिवंगत पिता करुणानिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव की बेटी पाटलिपुत्र सीट से चुनाव लड़ रही हैं. उनके समधी चंद्रिका राय सारण सीट से मैदान में हैं. आरजेडी ने तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को अररिया से, शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को सीवान से, प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को महाराजगंज से टिकट दिया.

जेएमएम के अध्यक्ष शिबू सोरेन दुमका से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं उनके बेटे पू्र्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनके लिए सभाएं कर रहे हैं. नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला श्रीनगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं. उनके पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. एनसीपी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने महाराष्ट्र के बारामती संसदीय क्षेत्र से बेटी सुप्रिया सुले को मैदान में उतारा है. शरद पवार के भतीजे अजित पवार पूर्व में मंत्री रह चुके हैं. अजित पवार के बेटे पार्थ मावल से एनसीपी के उम्मीदवार हैं.

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