2019 के 19 मुद्दे | सीरीज-1: 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है. साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने राष्ट्रवाद के मुद्दे को हमेशा सर्वोपरी रखा है. उरी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों पर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से मोदी सरकार ने हर मंच पर इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की है. इन पांच सालों में मोदी सरकार ने विकास के मुद्दे से ज्यादा राष्ट्रवाद के मुद्दे को तरजीह दी है.


राष्ट्रवाद को लेकर बीजेपी-कांग्रेस के अपने-अपने दावे


इसी साल फरवरी में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में देश के 40 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर आतंकी शिविरों पर बम बरसाए. इसके बाद से ही देश की सेना के शौर्य को लेकर कई राजनीतिक बयानबाजी हुई. जहां एक तरफ बीजेपी दावा करती रही है कि उसके कार्यकाल में आतंक पर कड़ा प्रहार हुआ है तो वहीं कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी राष्ट्रवाद और आतंकवाद में राजनीति देख रही है. जबकि राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी लड़ाई कांग्रेस ने ही लड़ी है और पार्टी नेताओं ने देश के लिए अपनी जान को दांव पर लगा दिया.



इतने सालों में भारत-पाकिस्तान के बीच कुछ नहीं बदला


साल 2016 में उरी हमला हुआ. इसके बाद आतंकवाद को लेकर कड़े कदम उठाने के वादे हुए, कार्रवाई भी हुई. बावजदू इसके भारत-पाकिस्तान के बीच कुछ नहीं बदला. सिवाय इसके कि देश की जनता पाकिस्तान से निर्णायक फैसला चाहती है. लेकिन निर्णायक फैसला भी नहीं हुआ. रह रहकर पाकिस्तान साजिश भी रच रहा है. कुल मिलाकर जब देश में चुनाव आ चुके हैं तो राष्ट्रवाद और आतंकवाद का मुद्दा जीवित है.


विकास-विकास कहकर सत्ता में आई बीजेपी अब राष्ट्रवाद की बात कर रही है


राजनीति में ये वक्त सुनहरे मौके की तरह है. बीजेपी गुण गा रही है कि हम आतंक से लड़ रहे हैं और विरोध पाकिस्तान की मदद के लिए सबूत मांग रहे हैं. पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर छोटा बड़ा हर नेता कार्यकर्ता सेना की बहादुरी का जिक्र करके राष्ट्रवाद का मुद्दा जीवित रखे हुए हैं. पिछले दिनों खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2019 की इस लड़ाई को राष्ट्रवाद बनाम आतंकवाद का नाम दे दिया. अब हालात यह है कि कभी विकास-विकास कहकर सत्ता में आई बीजेपी अब राष्ट्रवाद की बात कर रही है.



बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में भी राष्ट्रवाद का मुद्दा सर्वोपरी रखा है और कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसकी जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी है. वहीं विपक्ष बीजेपी पर देश की सेना के शौर्य का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगा रही है. कुल मिलाकर भारत और पाकिस्तान के बीच पुलवामा आतंकी हमले के बाद जिस तरह रिश्तों में तल्खी आई है उसके कारण इस बार राष्ट्रवाद का मुद्दा भी एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन गया है.


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