लोकसभा चुनाव: प्रमोद तिवारी, राजा भैया नजरबंद, सिर्फ मतदान के लिए घर से बाहर जाने की इजाजत
बता दें कि प्रतापगढ़ में चुनाव के छठे चरण में मतदान हो रहा है और राजा भैया के जनसत्ता दल की मौजूदगी के कारण इस सीट पर मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है.
प्रतापगढ़: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी को प्रतापगढ़ में रविवार को नजरबंद कर दिया गया है. प्रतापगढ़ में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हो रहा है.निर्दलीय विधायक राजा भैया और 12 अन्य को भी नजरबंद रखा गया है. प्रमोद तिवारी, राजा भैया और अन्य को सिर्फ अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए घर से बाहर जाने की इजाजत दी गई है.
चुनाव आयोग को कुंडा में इन आठ प्रभावशाली लोगों दवारा अशांति फैलाने की आशंका थी. प्रतापगढ़ जिला प्रशासन ने कौशाम्बी जिले का चुनाव सकुशल कराने के लिए ये कदम उठाया है.
प्रतापगढ़ में चुनाव के छठे चरण में मतदान हो रहा है और राजा भैया के जनसत्ता दल की मौजूदगी के कारण इस सीट पर मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है.
इस सीट पर कांग्रेस ने रत्ना सिंह, बीजेपी ने संगम लाल गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है, जबकि सपा-बसपा गठबंधन से अशोक त्रिपाठी और राजा भैया ने अक्षय प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
इस बीच राजा भैया ने कहा है कि उन्हें नजरबंद रखना अनुचित है, क्योंकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के किसी भी नेता को नजरबंद नहीं किया गया है.
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि उन्होंने कभी कानून-व्यवस्था की स्थिति में दखल नहीं दिया है और उन्हें नजरबंद रखना अनुचित है.
बता दें कि साल 1993 में पहली बार राजा भैया ने कुंडा सीट से चुनाव लड़ा था. आजतक राजा भैया ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ा है और जीत हासिल की है. इसके बाद से वे लगातार इसी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करते आ रहे हैं. कुंडा विधानसभा सीट से वो लगातार छठी बार विधायक हैं. राजा भैया प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. ठाकुर मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है.
बीएसपी सुप्रीमो मायावती से अदावत रखने वाले राजा भैया का मुलायम सिंह यादव से अपनेपन का संबंध रहा है. मुलायम सरकार में वे मंत्री भी थे. मायावती ने तो राजा भैया को पोटा क़ानून में जेल भिजवा दिया था. वे अखिलेश यादव की सरकार में जेल मंत्री फिर बाद में खाद्य और आपूर्ति मंत्री भी बने. डीएसपी जिया उल हक़ की हत्या के बाद राजा भैया को मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. सीबीआई से क्लीन चिट मिलने के बाद वे दोबारा मंत्री बने.
पिछले साल मार्च महीने में राज्य सभा की दस सीटों के लिए चुनाव हुए थे. बीजेपी ने 9, एसपी और बीएसपी ने एक एक उम्मीदवार उतारे थे. दबंग नेता रघुराज प्रताप सिंह और उनके समर्थक विधायक विनोद सरोज ने बीजेपी की लाज बचा ली. समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ कर दोनों विधायकों ने बीजेपी के लिए वोट किया. बीएसपी का उम्मीदवार हार गया.
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