नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस गठबंधन को लेकर हां-ना, हां-ना जैसे स्थिति बनी हुई है. सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद ट्वीट कर अपना रुख स्पष्ट कर दिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल पर यू-टर्न के आरोप लगाए.


राहुल गांधी ने कहा, ''दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन का मतलब बीजेपी का सूपड़ा साफ होना है. यह सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस आप को चार सीटें देने की इच्छुक है. परन्तु केजरीवाल जी ने एक और यूटर्न ले लिया है.''


राहुल के ट्वीट के ठीक बाद केजरीवाल ने भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कौन सा U-टर्न? अभी तो बातचीत चल रही थी. आपका ट्वीट दिखाता है कि गठबंधन आपकी इच्छा नहीं मात्र दिखावा है. मुझे दुःख है आप बयानबाज़ी कर रहे हैं.


दरअसल, आम आदमी पार्टी-कांग्रेस के बीच गठबंधन की कोशिश कई महीनों से हो रही है. पहले गठबंधन को लेकर बातचीत दिल्ली की सिर्फ सात सीटों तक सीमित थी और कांग्रेस भी यही चाहती थी.


यही नहीं आप-कांग्रेस में दिल्ली की सात सीटों पर सहमति भी बन गई. लेकिन इसके शर्तों पर सहमति नहीं बनी है. कांग्रेस ने पार्टी में विरोध के बावजूद 4 सीट आप को देने का फैसला किया है और खुद कांग्रेस तीन सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हुई.


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क्या है आप की शर्त?
आम आदमी पार्टी दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा, चंडीगढ़ और पंजाब की कुल 31 सीटों पर गठबंधन करने के पक्ष में है. चंडीगढ़ में एक, हरियाणा में 10, पंजाब में 13 लोकसभा की सीटें हैं. आम आदमी पार्टी हरियाणा में कांग्रेस से तीन, चंडीगढ़ की एक और पंजाब में 3 सीटें मांग रही है.


कांग्रेस ने साफ-साफ शब्दों में आप की मांग को खारिज कर दिया है. सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा, ''हम स्पष्ट तौर पर कहना चाहते हैं. हमारी दिल्ली इकाई के विरोध के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष ने दिल्ली में आप के साथ तालमेल का फार्मूला निकालने के लिए स्थानीय नेताओं को मनाया. परंतु आप ने हरियाणा में भी सीटों की मांग पर जोर दिया. हमारा रुख स्पष्ट है. अब गेंद उनके पाले में है.''


वहीं आप नेता गोपाल राय ने कहा, ‘‘राहुल गांधी जी 18 सीटों पर बीजेपी को हराने के लिए दिलचस्पी क्यों नही दिखा रहे हैं. राहुल जी ने 4 सीट का दरवाजा खोला है तो हमने दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ में 18 सीट पर बीजेपी को हराने के लिए दरवाजा खोल रखा है.’’


क्यों नहीं बन रही सहमति?
लगातार 15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने के बावजूद कांग्रेस को दो विधानसभा चुनाव, एक लोकसभा और एक नगर पालिका चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. विधानसभा चुनावों में आप ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया. आज कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है. वहीं कांग्रेस के वोट बंटने से बीजेपी को लोकसभा चुनाव में फायदा मिला. दिल्ली की सभी सात सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.


आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों को इस बात का अंदाजा है कि दिल्ली में अगर गठबंधन नहीं हुआ तो बीजेपी एक बार फिर 2014 को दोहराएगी. गठबंधन होने पर बीजेपी को चुनौती मिलेगी.


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हरियाणा में आम आदमी पार्टी के मुकाबले कांग्रेस का जनाधार मजबूत है. ऐसे में कांग्रेस आम आदमी पार्टी को सीट देकर भविष्य में एक नई चुनौती नहीं बनने देना चाहती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सात, आईएनएलडी दो और कांग्रेस ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी.


आईएनएलडी दो फाड़ हो चुकी है. दुष्यंत चौटाला ने आईएनएलडी से अलग होकर जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया है. आम आदमी पार्टी ने जेजेपी से गठबंधन किया है. हालांकि सीटों पर सहमति नहीं बनी है. एक वजह यह भी है कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा में आप से गठबंधन को लेकर असहमत है. जिंद उपचुनाव में जेजेपी और आप ने गठबंधन किया था.


पंजाब में आम आदमी पार्टी की स्थिति थोड़ी ठीक नजर आती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में आप सूबे में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी आप है. हालांकि आप के कई विधायक पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं और खूब गुटबाजी देखने को मिली है. यही नहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में पंजाब में चार सीट जीतने वाली आप के दो सांसद भी पार्टी छोड़ चुके हैं.


पंजाब में कांग्रेस सत्ता में है. ऐसे में पार्टी आप से गठबंधन को लेकर साफ-साफ इनकार कर चुकी है. आप केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की एक सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है. पार्टी ने पूर्व रेलमंत्री पवन कुमार बंसल को टिकट दिया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की किरण खेर ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस नेता पवन बंसल दूसरे और आप नेता गुल पनाग तीसरे नंबर पर रहे.