कानपुर: इत्र नगरी कन्नौज में बीते दो दशकों से समाजवादी पार्टी का एकक्षत्र राज है. कन्नौज में समजावाद की जड़े इतनी मजबूत है कि बीजेपी को 21 वर्षों से और कांग्रेस को 30 से सिर्फ हार का सामना करना पड़ रहा है. कन्नौज लोकसभा सीट हमेशा से वीआईपी सीट रही है. जब कन्नौज लोकसभा सीट अस्तित्व में आई तो सबसे पहले सांसद डॉ राम मनोहर लोहिया बने थे. इसके बाद कांग्रेस पूर्व सीएम शीला दीक्षित, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव सरीखे नेता यहां से सांसद रह चुके हैं. अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव सांसद हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा से डिम्पल यादव और बीजेपी के सुब्रत पाठक चुनावी मैदान में आमने सामने हैं.
कन्नौज का इतिहास राजा जयचंद्र से जुड़ा है, जानकारों का कहना है कि जब राजा जयचंद्र का राज था तभी से इत्र का कारोबार किया जाता था. समाजवादी पार्टी का कन्नौज में बीते 23 वर्षो से काबिज है. ऐसा लोगों का कहना है कि जब भी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार आती है तो कन्नौज को 24 घंटे बिजली मिलती है. सपा की सरकार में पूरे जनपद में खूब विकास कराया जाता है. लेकिन जैसे ही प्रदेश सरकार में सत्ता परिवर्तन होता है कन्नौज के बुरे दिन शुरू हो जाते है. कन्नौज का विकास कार्य और बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है.
कन्नौज लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती हैं. तिर्वा विधानसभा सीट से बीजेपी के कैलाश राजपूत विधायक हैं, छीबरामऊ विधानसभा सीट से अर्चना पाण्डेय विधायक है जो प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, कन्नौज सदर विधानसभा सीट से सपा के अनिल कुमार दोहरे विधायक हैं, जनपद औरया की बिधूना विधानसभा सीट से बीजेपी के विनय शाक्य विधायक हैं, जनपद कानपुर देहात के रसूलाबाद से निर्मला शंखवार विधायक हैं. बीजेपी के सभी विधायकों की अपनी-अपनी विधानसभाओं में जबर्दस्त पकड़ है.
जातिगत आकड़े
कन्नौज संसदीय क्षेत्र में 18,53,987 मतदाता हैं ,जिसमें से पुरुष वोटरों की संख्या 10,13,505 है और महिला मतदाताओं की संख्या 8,40,482 हैं. कन्नौज में 1553 मतदाता केंद्र हैं. कन्नौज में 2,50,000 लाख मुस्लिम वोटर हैं, 4,50,000 लाख सवर्ण वोटर हैं, 800000 ओबीसी वोटर हैं और 3 लाख एससी-एसटी वोटर हैं.
डिंपल यादव
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद कन्नौज लोकसभा सीट सपा के खाते में गई है. सपा ने कन्नौज लोकसभा सीट से डिंपल यादव को कैंडिडेट बनाया है. अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज लोकसभा सीट से 2012 से लगातार सांसद हैं. अखिलेश यादव ने जब 2012 में कन्नौज लोकसभा सीट छोड़ी थी तो डिंपल यादव को निर्विरोध सांसद चुनी गई थी. 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर भी डिंपल यादव को हरा नहीं पाई थी.
बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक
बीजेपी ने एक बार फिर से सुब्रत पाठक पर भरोसा जताया है. सुब्रत पाठक को बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था. सुब्रत पाठक बीजेपी के कद्दावर ब्राह्मण नेता माने जाते हैं. चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने कन्नौज में रह कर अपनी जमींन तैयार की है. सुब्रत पाठक को पूरा भरोसा है कि 2014 में उनकी हार का अंतर बहुत कम था. 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी और कन्नौज के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर सपा के विधायक थे. जिसकी वजह से बीजेपी कन्नौज में हारी थी. लेकिन जब मौजूदा हालात बदल चुके है उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और कन्नौज लोकसभा सीट की पांच विधानसभा सीटों में 4 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैम. बीजेपी अब पहले से ज्यादा मजबूत स्थिति पर है.
कन्नौज लोकसभा सीट
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कन्नौज से सुब्रत पाठक को डिम्पल यादव के खिलाफ उतारा था. मोदी लहर का असर कन्नौज लोकसभा सीट पर नहीं पड़ा था. डिम्पल यादव ने सुब्रत पाठक को हरा कर समाजवादी पार्टी की जीत को बरकरार रखा था. डिम्पल यादव को 4,89,164 वोट मिले थे और बीजेपी के सुब्रत पाठक को 4,69,257 वोट हासिल हुए थे . वही बसपा के निर्मल तिवारी को 1,27,785 वोट मिले थे. डिम्पल यादव ने सुब्रत पाठक को 19,907 वोटों से हराया था.
कन्नौज लोकसभा सीट का इतिहास
-1967 में समयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी से कन्नौज लोकसभा सीट से डॉ राम मनोहर लोहिया पहले सांसद थे .
-1971 में कांग्रेस से एन एन मिश्रा सांसद बने थे .
-1977 में भारतीय लोक दल सी राम प्रकाश त्रिपाठी सांसद बने थे .
-1980 में जनता पार्टी सेक्युलर से छोटे सिंह यादव सांसद बने थे .
-1984 में कांग्रेस से शीला दीक्षित सांसद बनी थी .
-1989 में जनता दल से छोटे सिंह यादव सांसद बने थे .
-1991 में जनता पार्टी से छोटे सिंह यादव सांसद बने थे .
-1996 में बीजेपी का कन्नौज में खाता खुला था और चंद्र भूषण सिंह सांसद बने थे .
-1998 में समाजवादी पार्टी के प्रदीप कुमार यादव सपा के पहले सांसद थे और कन्नौज में समाजवाद युग की शुरुआत हो गई .
-1999 में सपा से मुलायम सिंह यादव सांसद बने .
-2000 में हुए उपचुनाव में मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव कन्नौज से चुनाव जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे .
-2004 और 2009 में भी सपा से अखिलेश यादव सांसद रहे .
-2012 के उपलोकसभा चुनाव में डिंपल यादव को निर्विरोध चुना गया था .
-2014 के लोकसभा चुनाव में भी सपा की डिंपल यादव सांसद बनी.
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