नई दिल्ली: विकास के दावों, गठबंधन के समीकरणों के चलते वाराणसी में मतदान से पहले ही चुनाव बेहद दिलचस्प हो चुका है. विपक्ष मोदी के सामने अबतक किसी गम्भीर उम्मीदवार के नाम की औपचारिक घोषणा नहीं कर सका है. इसके बावजूद अबतक कुछ ऐसे नाम सामने आए हैं, जो वाराणसी लोकसभा क्षेत्र को काफी दिलचस्प बना रहे हैं. वाराणसी संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री के सामने किसान, पूर्व जज, पूर्व जवान और पुजारी प्रतिद्वंद्वी के रूप में चुनावी मैदान में हैं. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 19 मई को मतदान होगा.
इसी बीच सियासी हलको में इस बात की चर्चा गरम है कि हो सकता है प्रियंका गांधी यहां से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ लें. राहुल गांधी ने भी अभी इस पर खुलकर कुछ नहीं बोला है. प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने के सवाल पर राहुल ने कहा था कि फैसला हो चुका है पर अभी सस्पेंस रखना चाहते हैं.
इनमें तमिलनाडु के 111 किसान हैं तो वहीं दो ऐसे शख्स हैं जो कई साल तक सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित रहे हैं. वहीं तेलंगाना स्थित नलगोंडा में फ्लोराइड युक्त पानी से परेशान लोगों की आवाज उठाने वाले संगठन की अगुवाई करने वालों ने भी वाराणसी से चुनाव लड़ने का मन बनाया है. वे केंद्र सरकार का ध्यान अपनी समस्या की तरफ आकर्षित करना चाहते हैं.
इसी तरह हरियाणा से प्रकाशित होने वाली एक पत्रिका के संपादक भी पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाराणसी आ रहे हैं. इसके अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वाराणसी से चुनाव लड़ने की मांग भी स्थानीय कार्यकर्ता कर रहे हैं.
बीएसएफ से बर्खास्त हुए जवान तेज बहादुर यादव ने भी घोषणा कर दी कि वह जवानों की बदहाली का मुद्दा हाईलाइट करने के लिए पीएम मोदी के खिलाफ चुनावी ताल ठोंकेंगे. इन सब नामों के बाद दो बड़े ही दिलचस्प नाम सामने आए हैं, जो कई सालों से 'मृत' हैं. इनमे आजमगढ़ के राम अवतार यादव और वाराणसी की चौबेपुर के रहने वाले संतोष सिंह हैं. यह दोनों अपने रिश्तेदारों की साजिश का शिकार होकर सरकारी दस्तावेजों में मृत दिखाए जा चुके हैं.
2014 में 77 कैंडिडेट्स ने भरे थे पर्चे, 40 की जमानत हुई जब्त
पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी के वाराणसी से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद, देश भर से कई नेता चुनाव लड़ने की घोषणा कर वाराणसी पहुंचे थे. तब पीएम मोदी के खिलाफ 77 कैंडिडेट्स ने नॉमिनेशन किया था. लेकिन ज्यादातर कैंडिडेट्स गंभीर नहीं थे, इसके चलते जांच में 34 कैंडिडेट्स के पर्चे ही खारिज हो गए. इसके बाद दो ने अपने नाम वापस ले लिए गए. फिर भी मैदान में मोदी के खिलाफ 41 कैंडिडेट्स ने चुनाव लड़ा था. वोटिंग के बाद रिजल्ट आने पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल के अलावा कोई कैंडिडेट अपनी जमानत भी न बचा पाया था. इन चुनावों में 40 कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हुई थी.
बैलट पेपर से चुनाव कराने की रणनीति!
वाराणसी में चर्चा यह है कि ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतारे जाने से चुनाव ईवीएम से न होकर बैलट पेपर से होगा. लेकिन थर्ड जनरेशन ईवीएम से अब 24 वैलेट यूनिट जोड़े जा सकते हैं और 384 प्रत्याशियों के लिए वोटिंग कराई जा सकती है. ऐसे में विपक्ष का यह दांव भी खाली जाता नजर आ आ रहा है. वाराणसी में मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 18 लाख की है, जिनमें से तकरीबन 8 लाख महिलाएं और लगभग 10 लाख पुरुष हैं.
कैसा था 2014 में वाराणसी लोकसभा सीट का हाल
वाराणसी लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश में आती है जो कि पूर्वांचल इलाके में आता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी ने 5 लाख 81 हजार 022 वोट हासिल किये थे और 3 लाख 71 हजार 784 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. वाराणसी लोकसभा सीट पर दूसरे स्थान पर आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल रहे थे जिन्होंने 2 लाख 09 हजार 238 वोट हासिल किये थे. कांग्रेस पार्टी के अजय राय 75 हजार 614 वोट पाकर तीसरे तो बहुजन समाज पार्टी के विजय प्रकाश 60 हजार 579 वोट पाकर चौथें स्थान पर रहे थे.
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