नई दिल्ली: यूपी में बीजेपी को दस सीटों पर चुनाव लड़ने लायक नेता नहीं मिल रहे हैं. पार्टी को तलाश है जीताऊ उम्मीदवारों की. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक कई दौर की बैठकों के बाद अब गेंद अमित शाह के पाले में है. न तो कोई फ़ार्मूला पसंद नहीं आ रहा है. न ही कोई कोई मज़बूत चेहरा. सहयोगी पार्टियों से अब तक बात नहीं बन पा रही है. इन सब के चक्कर में बीजेपी लोकसभा की दस सीटों पर उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पार्टी के बड़े नेताओं की कई दौर की बैठकें हुईं. लेकिन अब तक कोई फ़ैसला नहीं हो पाया है.


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निषाद पार्टी के बीजेपी कैंप में आ जाने से पेंच और फंस गया है. गोरखपुर की बात करें तो बता दें कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ यहां से लगातार 5 बार सांसद रह चुके हैं. बीजेपी यहां से पिछला उप-चुनाव हार चुकी है. इसीलिए योगी इस बार ये सीट हर हाल में जीतना चाहते हैं. ये उनके लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. समाजवादी पार्टी के सांसद प्रवीण निषाद इसी महीने बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. लेकिन पार्टी उन्हें यहां से फिर चुनाव लड़वाने के मूड में नहीं है. समाजवादी पार्टी ने रामभुआल निषाद को गठबंधन का उम्मीदवार बनाया है. चर्चा है कि निषाद पार्टी को अंबेडकरनगर या भदोही सीट मिल सकती है. भदोही के बीजेपी सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त को पार्टी ने बलिया से चुनाव लड़ने को कहा है.


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देवरिया सीट पर भी बीजेपी को जीताऊ उम्मीदवार नहीं मिल पाया है. यहां के सांसद और पार्टी के सीनियर लीडर कलराज मिश्र ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. तो अब उनकी जगह कौन चुनाव लड़े? इस सवाल का जवाब ढूढ़ने में पार्टी नेताओं के पसीने छूट रहे हैं. योगी सरकार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी टिकट की जुगाड़ में हैं. लेकिन ख़बर है कि कलराज मिश्र किसी और नेता के लिए टिकट चाहते हैं. इसी चक्कर में उम्मीदवार का एलान नहीं हो पा रहा है.


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संत कबीरनगर की बात करें तो शरद त्रिपाठी बीजेपी के एमपी हैं. ये वही नेता हैं जिन्होंने पार्टी के विधायक की जूतों से ताबड़तोड़ पिटाई की थी. बीजेपी के कई नेता उनका टिकट कटवाने में लगे हैं. लेकिन डर ये है कि अगर त्रिपाठी का टिकट कटा तो फिर पूर्वांचल के ब्राह्मण नाराज़ हो सकते हैं. बीएसपी ने बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के बेटे कुशल तिवारी को गठबंधन से प्रत्याशी बनाया है. अंबेडकरनगर सीट से बीजेपी सांसद हरिओम पांडे का टिकट कट गया है. ये बीएसपी का गढ़ माना जाता है. बीजेपी पहले यहां विधायक और बाहुबली नेता खब्बू तिवारी को चुनाव लड़वाना चाहती थी. लेकिन पार्टी का मन अब बदल गया है. अब बीजेपी ये सीट सहयोगी दल निषाद पार्टी को देने के बारे में विचार कर रही है.


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प्रतापगढ़ सीट पर तो मामला और फंस गया है. पहले ये सीट अपना दल के खाते में थी. लेकिन इस बार बीजेपी ने इसे अपने पास रख लिया है. पिछली पार अपना दल के हरिवंश यहां से चुनाव जीते थे. यहां बीजेपी को कोई जीताऊ उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है. रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया ने भी प्रतापगढ़ से अपने चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को टिकट जे दिया है. उनकी पार्टी जनसत्ता दल के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी का नुक़सान तय है. घोसी से हरिनारायण राजभर बीजेपी के सांसद हैं. बीजेपी की सहयोगी सुहेलदेव समाज पार्टी ये सीट अपने लिए मांग रही है. पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर इस सीट पर अपने बेटे को चुनाव लड़वाना चाहते हैं. लेकिन अब तक कोई फ़ैसला नहीं हो पाया है. गेंद अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के पाले में है. बीएसपी ने अतुल राय को टिकट दिया है.


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जौनपुर लोकसभा सीट की कहानी भी मिलती जुलती है. बीजेपी अपने वर्तमान सांसद के पी सिंह को फिर से टिकट न देने का मन बना चुकी है. लेकिन उनके बदले कौन चुनाव लड़े ? यही सबसे बड़ी समस्या है. पार्टी चाह कर भी मज़बूत प्रत्याशी नहीं ढूढ़ पाई है. बाहुबली नेता धनंजय सिंह बीजेपी से टिकट मांग रहे हैं. लेकिन पार्टी उनको लेकर मन नहीं बना पाई है. निषाद पार्टी ये सीट बीजेपी से अपने लिए मांग रही है. लेकिन बीजेपी अपने सहयोगी दलों निषाद पार्टी और सुहेलदेव समाज पार्टी को कितनी सीटें देगी? वो सीटें कौन सी होंगी? इस पर फ़ैसला अमित शाह को करना है. कल देर रात तक लखनऊ में बैठक हुई. लेकिन कोई फ़ैसला नहीं हो पाया.