Lok Sabha Elections 2024: 25 हजार से 95 लाख तक, हर चुनाव के साथ कैसे बढ़ी उम्मीदवारों के खर्च की सीमा
Lok Sabha Elections 2024: उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा लगभग हर चुनाव में बढ़ी है, लेकिन 2014 से इसमें काफी तेजी से उछाल आया है. 2009 में 25 लाख से अब यह सीमा 95 लाख हो चुकी है.
Lok Sabha Elections 2024: देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पैसे की कमी के चलते चुनाव नहीं लड़ने की बात कह चुकी हैं. 2019 में निर्मला सीतारमण ने अपनी कुल संपत्ति 2 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई थी, लेकिन अब वह कह रही हैं कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है. लोकसभा चुनाव 2024 में हर लोकसभा उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार में किए गए खर्च की अधिकतम सीमा 95 लाख रुपए है. वहीं, विधानसभा उम्मीदवार के लिए यह सीमा 40 लाख रुपए है.
कम आबादी वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सांसदी के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम खर्च की सीमा 75 लाख और विधायकी के उम्मीदवार के लिए 28 लाख रुपए है. कभी यह सीमा 25 हजार हुआ करती थी. आइए जानते हैं कि हर चुनाव के साथ कैसे यह सीमा बढ़ती चली गई.
राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी खर्च की कोई सीमा नहीं है, लेकिन हर उम्मीदवार के लिए अधिकतम खर्च की सीमा तय है. उम्मीदवार आधिकारिक खर्च इसी सीमा में रहकर करते हैं, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का दावा है कि लगभग हर उम्मीदवार अपने चुनावी खर्च का बड़ा हिस्सा अनौपचारिक रूप से खर्च करता है.
कैसी बढ़ी चुनावी खर्च की सीमा?
पहले लोकसभा चुनाव में हर उम्मीदवार के लिए अधिकतम खर्च की सीमा 25 हजार रुपये थी. वहीं, उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में उम्मीदवार सिर्फ 10 हजार रुपये खर्च कर सकते थे. 1971 में इसे 35 हजार और 1980 में 1 लाख कर दिया गया. 1984 में यह सीमा 1.5 लाख हो गई, लेकिन छोटे राज्यों में इसे 1.3 लाख. 1-2 लोकसभा सीट वाले राज्यों में लिमिट 1 लाख थी. चंडीगढ़ जैसी सीटों में यह सीमा सिर्फ 50,000 थी.
2014 में हुआ बड़ा बदलाव
1996 में चुनावी खर्च की सीमा 1.5 लाख से 4.5 लाख पहुंच गई. 1998 में इसे 15 लाख और 2004 में 25 लाख कर दिया गया. 2014 में यह सीमा 70 लाख पहुंची और अब 95 लाख हो चुकी है. यही वजह है कि 2 करोड़ की कुल संपत्ति वाली निर्मला सीतारमण चुनाव में पैसे की कमी की बात कह रही हैं, क्योंकि अन्य नेता आधिकारिक तौर पर 95 लाख खर्च कर सकते हैं.
चुनावी खर्च बढ़ने की बड़ी वजह मुद्रा अवमूल्यन (महंगाई) और हर लोकसभा सीट पर बढ़ती आबादी है. राजनीतिक दलों का चुनावी खर्च भी लगातार बढ़ा है. 2019 में 32 पार्टियों ने कुल 2,994 करोड़ रुपए खर्च किए थे. चुनाव पूरा होने के 30 दिन बाद हर उम्मीदवार को अपने खर्च का ब्योरा चुनाव आयोग को देना होता है. वहीं, राजनीतिक दलों को 90 दिन के अंदर पूरे खर्च का लेखा-जोखा देना होता है.
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