Lok Sabha Elections 2024: BJP के पास मशीनरी और योगी तो PDA के सहारे सपा, BSP लड़ रही अस्तित्व की लड़ाई, लोकसभा चुनाव में यूपी के सियासी दलों की ये है ‘चाल’
Bahujan Samaj Party: लोकसभा चुनाव 2024 मायावती की पार्टी बसपा ने अकेले लड़ने का फैसला किया है. वहीं, सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और पीडीए वोट वैंक पर नजर बनाई हुई है.
BSP In Lok Sabha Elections 2024: एक जमाने में ताकतवर रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही. साल 1984 में पार्टी की स्थापना के बाद कांशीराम ने इसे भारतीय समाज में बहुजनों (दलित, पिछड़े, निचली जाति और अल्पसंख्यक) के लिए समान अधिकार देने के लिए एक आंदोलन के रूप में फैलाया.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बाबा साहेब आंबेडकर ने एक बार कहा था कि हालांकि संविधान समानता पर आधारित है लेकिन वास्तविक परिवर्तन तभी आएगा जब दलित केवल वोटर न रहकर राजनीति की शक्ति भी बनेंगे. इसी राह पर चलने वाली बसपा ने धीरे-धीरे अपना आधार बनाना शुरू किया और साल 1993 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में यूपी का चुनाव भी जीता. साल 1996 में कांग्रेस के साथ भी गठबंधन कर जीत हासिल की.
जब बीजेपी के साथ गठबंधन कर मुख्यमंत्री बनीं मायावती
चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ गठबंधन करके कांशीराम की उत्तराधिकारी मायावती साल 1995, 1997 और 2002 में तीन बार मुख्यमंत्री बनीं. आज के समय में बीजेपी देश की सत्ता के साथ-साथ यूपी की सत्ता में है. बीजेपी ने पहली बार मुख्यमंत्री पद के लिए योगी आदित्य का चेहरा सामने करके सभी को चौंका दिया था. इसी चेहरे के दम पर पार्टी ने अगला विधानसभा चुनाव भी जीता और योगी के चेहरे और अपनी मजबूत मशीनरी के सहारे बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में भी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की उम्मीद लगाए बैठी है.
वहीं, साल 2006 में कांशीराम के देहांत के बाद मायावती ने ब्राह्मणों को लुभाने के लिए अपनी राजनीति बहुजन से सर्वजन में शिफ्ट कर दी और 2007 के विधानसभा चुनावों में बहुमत भी हासिल किया.
सपा से गठबंधन मायावती को पड़ा भारी
जिन ऊंचाइयों पर बसपा हुआ करती थी, आज के समय में वो बात मायावती की पार्टी में नहीं दिख रही है. इसकी शुरुआत उस वक्त हुई जब साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ और बसपा ने सिर्फ 10 सीटें जीतीं. इसके बाद बहुजन के सभी वर्गों से आने वाले कांशीराम के सिपाहसालारों ने भी पार्टी छोड़ दी. वहीं, अखिलेश यादव की सपा का हाल भी कुछ खास नहीं है.
हालांकि विधानसभा चुनावों में सपा ने बीजेपी को अच्छी खासी टक्कर दी थी लेकिन पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने से बीजेपी को नहीं रोक पाई. इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा पीडीए वोट बैंक पर नजर बनाए हुए और इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस के साथ सीटें शेयर करके जीत की आस लगाए हुए है.
2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजे बसपा के विपरीत
जिस गठबंधन के सहारे अपनी राजनीति को बसपा चमका रही थी, उसी गठबंधन को पार्टी ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में तोड़ दिया और अकेले चुनाव लड़ी और नतीजे सभी के सामने हैं. बहुत ही करारी और निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा.
इसी तरह मायावती ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भी अकेले लड़ने का निर्णय लिया है. उन्हें उम्मीद है कि उसी तरह एक बार फिर लोकतंत्र फिर से अपना चमत्कार दिखाए जिस तरह 1995 में मायावती यूपी की पहली बार सीएम बनीं थीं और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने इसे लोकतंत्र का चमत्कार करार दिया था.
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