Lok Sabha Elections 2024: भारत के 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में उत्तर प्रदेश ही सबसे बड़ा राज्य है. आबादी के लिहाज से भी और लोकसभा की सीटों के लिहाज से भी. देश को सर्वाधिक प्रधानमंत्री देने वाले इस राज्य के परिणाम से ही केंद्र की सत्ता के शिखर तक पहुंचना आसान हो जाता है. इसीलिए बीजेपी हिंदी भाषी राज्यों में सर्वाधिक तवज्जों इसी प्रदेश को देती है. बीजेपी ने इस बार यूपी में ‘मिशन 80’ के लिए बड़ी पुख्ता तैयारी शुरू कर दी है. समाजवादी पार्टी के कई नामचीन नेता बीजेपी खेमे में शामिल हो रहे हैं. इसके अलावा राष्ट्रवादी पसमांदा मुस्लिम संगठन के जरिए अपना वोटबैंक बढ़ाने की योजना बनाई है. इतना ही नहीं पिछड़े वर्ग के वोट बैंक पर भी उसने काफी मजबूत पकड़ की योजना बना रखी है.
बीजेपी ने कांग्रेस को उसका गढ़ कहे जाने वाले इस राज्य में सालों तक सत्तासीन रहने और सबसे पुरानी पार्टी होने के बावजूद धीरे-धीरे मात्र एक लोकसभा सीट तक सीमित कर दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी के लिए भी अब उसने चक्रव्यूह रचना शुरू कर दिया है. उसने हाल में उसके कई नेताओं को अपने साथ मिलाकर सपा के वोट बैंक में खासी सेंध लगाई है. इतना ही नहीं बीजेपी राष्ट्रीय जेपी नड्डा ने अपनी जो नई टीम घोषित की है. उसमें यूपी को सर्वाधिक तवज्जो दी है. इसमें प्रदेश से कुल 8 नाम हैं. तीन राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में सांसद रेखा वर्मा, लक्ष्मीकांत वाजपेई और तारिक मंसूर को शामिल करके उनका कद बढ़ाया है. तारिक मंसूर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं. इतना ही नहीं वह मुस्लिमों के पसमांदा समाज से आते हैं.
पूजा पाल देंगी सपा को बड़ा झटका
सपा के पूर्व विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के भी जल्द ही बीजेपी में शामिल होने की खबर है. पूजा इस समय प्रयागराज से सपा के टिकट पर विधायक हैं. बीजेपी में शामिल होने से पहले पूजा को अपने पद और पार्टी से इस्तीफा देना पड़ेगा. ऐसा माना जा रहा है कि पूजा के साथ सपा के अन्य कई नेता भी बीजेपी के पाले में आ सकते है. पूजा के आने से बीजेपी एक तीर से दो निशाने साधेगी.
पूजा को बीजेपी प्रयागराज से लोकसभा टिकट दे सकती है. ऐसा करने से उसकी आस-पास के पिछड़े वर्ग के वोटरों पर मजबूत पकड़ बनेगी. पूजा के पति राजू पाल की हत्या अतीक अहमद गैंग द्वारा की गई थी. जिसके गवाह के हत्या के आरोपी अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर कर दिया गया था. पूजा के बाद भी सपा के नेताओं का बीजेपी जुड़ने का सिससिला जारी रहने की खबरें हैं.
उत्तर प्रदेश में इनसे बढ़ेगी सपा की मुश्किल
बीजेपी ने आगामी 2024 के आम चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के गठबंधन से जुड़े कुछ दिग्गज चेहरों को भी एनडीए में जोड़ा है. इसमें सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर और सपा विधायक दारा सिंह चौहान प्रमुख हैं. इनके अलावा अन्य कई आरएलडी और सपा के नेता एनडीए के साथ जुड़ सकते हैं. इसके अलावा बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के लिए अपनी ‘स्पेशल 12’ तेज तर्रार नेताओं टीम गठित की है. प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधऱी और बीएल संतोष की अगुआई में यह टीम एनडीए को मजबूत करने तैयारी कर रही है. सपा के नेताओं को पार्टी ज्वाइन कराने में भी इन्हीं योगदान माना जा रहा है.
16वीं लोकसभा के 2014 में हुए आम चुनाव में बीजेपी उत्तर प्रदेश में 80 में से अकेले 71 सीटें हासिल की थीं, जबकि उनके साथ एनडीए में शामिल अपना दल ने 2 सीटों पर विजय पायीं थीं. यह बीजेपी का प्रदेश में अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. हालांकि 17वीं लोकसभा के हुए 2019 के चुनाव में बीजेपी की सीटें कम हो गई थीं. बीजेपी की 62 और उनके सहयोगी दल के रूप में एऩडीए में शामिल अपना दल की 2 सीटें मिला लें तो कुल 64 सीटें हुई थीं.
इन दिग्गज नेताओं ने बदला पाला
देखा जाए तो सबसे पहले बड़ा झटका बीजेपी को ही मिला था. जब बिहार में बीजेपी के साथ नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस में शामिल होकर 17वीं लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले सुशासन बाबू नीतीश कुमार ने अलग राह पकड़ ली थी. उन्हीं की आवाज और आगाज पर केंद्र में सत्तासीन बीजेपी सरकार का विजय रथ रोकने के लिए 26 दलों ने मिलकर इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) का गठन किया है. जिसकी दो बैठकें भी हो चुकी हैं.
इस महागठबंधन की तीसरी बैठक मुंबई में होने वाली है. हालांकि बीजेपी ने सुशासन बाबू के झटके से खुद को बहुत तेजी से उबार लिया. उन्होंने लोजपा के दोनों गुटों भतीजे चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को अपने साथ लाकर डैमेज को काफी हद कंट्रोल कर लिया है. इसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना में हुए दो फाड़ और अजित पवार की बगावत के बाद अपने साथ लाकर भी बीजेपी ने एनडीए को मजबूत किया है.
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