Lok Sabha Elections 2024: BJP-SP और कांग्रेस के प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल? क्या इलेक्शन कोड का उल्लंघन, जानें क्या हो सकती है कार्रवाई
Lok Sabha Elections 2024: चुनाव प्रचार के दौरान बच्चों का इस्तेमाल करने पर चुनाव आयोग सख्त कार्रवाई कर सकता है. दोषी पाए जाने पर संबंधित नेता को जेल के साथ भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है.
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है. इसके लिए उम्मीदवारों का नामांकन हो चुका है और सभी पार्टियां पूरे जोर शोर के साथ प्रचार में लगी हैं. लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करने से पहले ही चुनाव आयोग ने प्रचार में बच्चों को शामिल करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी. हालांकि, कुछ पार्टियों और नेताओं पर ऐसा करने के आरोप लगे हैं. अगर कोई नेता इस मामले में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ बाल श्रम निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
बाल श्रम निषेध अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर 6 महीने से 2 साल तक की जेल या 20 हजार से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है. ऐसे में राजनीतिक दलों और सभी राजनेताओं को बच्चों को दूर रखकर प्रचार करना होगा.
बीजेपी-समाजवादी पार्टी के प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल?
सीपीआई (एम) के राज्य सचिव के बालाकृष्णन ने पीएम मोदी के रोड शो में बच्चों के इस्तेमाल का आरोप लगाया है. मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में बालाकृष्णन ने कहा कि राजनीतिक अभियानों में स्कूली बच्चों का उपयोग चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. मंत्री ने आरोप लगाया कि वडावल्ली के एक निजी स्कूल के छात्रों ने 18 मार्च को कोयंबटूर में पीएम मोदी के रोड शो के दौरान चुनाव प्रचार में भाग लिया था. स्कूली बच्चों को भगवा कपड़े की पट्टियां पहने हुए हिंदू देवताओं के रूप में देखा गया था, जिन पर विभिन्न स्थानों पर बीजेपी का चुनाव चिन्ह था. ये बच्चे मंच पर प्रदर्शन कर रहे थे. बालाकृष्णन ने कहा, छात्रों ने कहा कि उन्हें स्कूल ने कार्यक्रम से 2 घंटे पहले एक जगह इकट्ठा होने के लिए कहा था.
सोशल मीडिया पर एक बच्चे का वीडियो वायरल हो रहा है. यह बच्चा समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के समर्थन में बातें कर रहा है. चुनाव आयोग की तरफ से दोनों मामलों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई है. दोनों मामलों में बच्चों के इस्तेमाल में नेताओं के योगदान को लेकर कोई सबूत या जानकारी नहीं है, लेकिन ऐसा होने पर नेता मुश्किल में पड़ सकते हैं.
क्या है चुनाव आयोग की गाइडलाइन?
आयोग ने कहा कि नेताओं और उम्मीदवारों को प्रचार गतिविधियों में बच्चों का इस्तेमाल किसी भी तरीके से नहीं करना चाहिए, चाहे वे बच्चे को गोद में उठा रहे हों या वाहन में या फिर रैलियों में बच्चे को ले जाना हों. इसमें कविता, गीत, बोले गए शब्द, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रतीक चिह्न का प्रदर्शन शामिल है.' यदि कोई नेता जो किसी भी राजनीतिक दल की चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं है और कोई बच्चा अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ उसके समीप केवल मौजूद होता है तो इस परिस्थिति में यह दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा.
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