Lok Sabha Elections 2024: मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ लगातार अपनी जमीन खोते जा रहे हैं. कुछ दिन पहले उनके बीजेपी में शामिल होने की खबरें सामने आई थीं. कमलनाथ तो बीजेपी में नहीं गए, लेकिन उनके करीबी एक-एक कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं. कमलनाथ के करीबी माने जाने वाले पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता सैदय जफर भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उनके अलावा कांग्रेस के 68 अन्य नेता भी पाला बदल चुके हैं.
कमलनाथ के करीबियों के दल बदलने से छिंदवाड़ा में उनकी पकड़ कमजोर हो रही है और यह नकुलनाथ के लोकसभा चुनाव हारने की वजह बन सकती है. 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में सिर्फ एक सीट जीत पाई थी. यह छिंदवाड़ा की सीट ही थी. कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने लगभग 30 हजार वोट के अंतर से जीत हासिल की थी. हार-जीत का अंतर बेहद कम था. ऐसे में बीजेपी के लिए जीत हासिल करना मुश्किल नहीं होगा.
करीबी बने कमलनाथ की कमजोरी
कमलनाथ के करीबी नेता ही उनकी कमजोरी बन चुके हैं. राजनीतिक पंडितों के अनुसार जिन नेताओं को कमलनाथ ने तैयार किया था, वही उनको कमजोर कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने 1980 में उन्हें सबसे सुरक्षित सीटों में से एक छिंदवाड़ा से टिकट दिया था. इसके बाद कमलनाथ लगातार इस सीट से चुनाव जीतते रहे. एक बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन लोकसभा और विधानसभा हर चुनाव में कमलनाथ या उनके समर्थन वाले उम्मीदवार छिंदवाड़ा में जीत हासिल करते रहे. इस दौरान कमलनाथ ने पार्टी के पुराने नेताओं की जगह अपने करीबियों को ज्यादा मौके दिए और अपने गुट के नेताओं की एक फौज खड़ी कर दी. अब यही फौज उनकी लुटिया डुबो रही है.
पहले बयानबाजी फिर बदला पाला
कमलनाथ के करीबी नेताओं ने पहले बयान दिए कि कांग्रेस में उनका अपमान हो रहा है. इसके साथ ही संकेत दिए कि कमलनाथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. कमलनाथ ने भी खुलकर इन बयानों का विरोध नहीं किया. बाद में उन्होंने पाला बदलने से इंकार जरूर किया, लेकिन तब तक जनता के बीच उनकी छवि खराब हो चुकी थी. कमलनाथ भले ही कांग्रेस के साथ बने हुए हैं, लेकिन उनके बीजेपी में जाने की खबरों को हवा देने वाले उनके करीबी नेता पाला बदल चुके हैं. बीजेपी भी छिंदवाड़ा में कांग्रेस नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर कमलनाथ को कमजोर करने में जुटी हुई है. ऐसे में कांग्रेस का सबसे पुराना किला भी आगामी चुनाव में ध्वस्त हो सकता है. इस बीच कमलनाथ की सबसे बड़ी चूक यही है कि वह उन्हीं नेताओं को नहीं संभाल पा रहे हैं, जिन्हें उन्होंने खुद तैयार किया है.
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