Election Commission EVM: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखें नजदीक हैं. देश में 18वीं लोकसभा के लिए पहले चरण कि वोटिंग 19 अप्रैल को कराई जाएगी. इसी बीच लोगों के मन में किसी तरह का कोई भ्रम न रहे, इसको लेकर चुनाव आयोग ने अहम जानकारी शेयर की है. साथ ही इस तरह के भ्रम को दूर करने की कोशिश की है.


कुछ लोगों के बीच ये धारणा है कि भारत निर्वाचन आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का बिना किसी परमीशन के इस्तेमाल कर रहा है. इस भ्रामक दावे पर चुनाव आयोग ने स्पष्टता दी है. वेबसाइट https://mythvsreality.eci.gov.in/details/evm में इस सवाल का जवाब दिया है. 


साल 1988 में मिला था EVM को संवैधानिक दर्जा


EVM को लेकर समय-समय पर हर राजनैतिक दल सवाल उठाते रहते हैं, ऐसा ही एक भ्रामक दावा EVM की संवैधानिक वैधता को लेकर भी कई बार किया जाता रहा है. दावे में कहा जा रहा है कि चुनाव में EVM का अवैध रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है. इस दावे को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने बताया की पार्लियामेंट ऑफ इंडिया में साल 1988 में EVM के वैध उपयोग के लिए पीपल्स रिप्रजेंटेशन एक्ट 1951 के सेक्शन 61A के तहत भारत निर्वाचन आयोग को EVM इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया था. EVM को बहुत सारे कानून और देश के सर्वोच्च न्यायालयों ने भी समय-समय पर वैधानिक बताया है. इसलिए चुनाव में उपयोग होने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल पूर्णतः वैध है और इसके उपयोग के लिए देश का संविधान चुनाव आयोग को इजाजत देता है. 


EVM के क्या है फायदे?


इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से इलेक्ट्रॉनिकली वोट डालने और वोटों की गिनती करने के काम में काफी आसानी हुई है. पहले जहां चुनाव परिणाम आने में कई दिनों का समय लगता था, वही काम अब EVM के आने से कुछ घंटो में हो जाता है. EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) दो यूनिटों को मिलाकर तैयार होती है: कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट. EVM का देश में पहली बार बतौर ट्रायल केरल के लोकल चुनाव में साल 1982 में इस्तेमाल किया गया था.


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