Nomination Filing Process: चुनाव आयोग के मुताबिक भारत की 18वीं लोकसभा के लिए देश में 7 चरणों में चुनाव होंगे. जिसमें पहला चरण 19 अप्रैल को शुरू होगा तो अंतिम चरण की वोटिंग 1 जून को कराई जाएगी और 4 जून को चुनाव परिणाम आएंगे. लोकसभा चुनाव 2024 का शुभारंभ हो चुका है. मंच भी सज चुका है और देशभर में पहले चरण के चुनाव के लिए (20 मार्च 2024) से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है.


19 अप्रैल 2024 को पहले चरण में देश की 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. इससे पहले आपके लिए ये जानना बहुत ही जरुरी है कि आखिर लोकसभा चुनाव में उतरने वाले प्रत्याशी कैसे अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने के लिए नामांकन दाखिल करते हैं और आखिर चुनाव आयोग को इन्हें कौन-कौन सी जानकारी देनी होती है? तो आइये जानते हैं एबीपी न्यूज़ की इलेक्शन सीरीज की इस खास रिपोर्ट में विस्तारपूर्वक यही सारी जानकारी.


जिले के डीएम होते है मुख्य निर्वाचन अधिकारी


लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद हर जिले में चुनाव की घोषणा होती है. नामांकन प्रक्रिया के दौरान कलेक्टर प्रेस नोट जारी करके सभी को सूचित करते है. जिसके बाद योग्य उम्मीदवार डीएम ऑफिस में डीएम के समक्ष अपना नामांकन दाखिल कर सकते है. चुनाव के दौरान जिले के कलेक्टर को ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी माना जाता है.


इन्हीं की देखरेख में प्रत्याशी अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हैं. किसी भी चुनाव के दौरान जिलेवार स्तर पर जिले का कलेक्टर ही चुनाव की कमान संभालता है. नामांकन दाखिल करना किसी भी चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण कार्य में से एक होता है. नामांकन दाखिल करके ही उम्मीदवार चुनाव आयोग के समक्ष अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करते हैं.


पत्र की जांच के बाद ही तय होती है उम्मीदवारी


लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र दाखिल होने के बाद चुनाव आयोग उम्मीदवार के सारे कागजों की जांच करता है. अगर आयोग को किसी डॉक्यूमेंट में कुछ भी संदिग्ध लगता है तो चुनाव आयोग उस प्रत्याशी की उम्मीदवारी भी निरस्त कर सकता है. प्रत्याशी चुनाव मैदान में तभी वोट मांगने के लिए प्रचार-प्रसार कर सकते है. जब उनकी उम्मीदवारी चुनाव आयोग रजिस्टर्ड घोषित कर दे. अंत में फिर जनता ही सभी के भाग्य का फैसला अपने 'मत' रुपी 'दान' से करती है.


वोटर लिस्ट में नाम तो भर सकते हैं नामांकन


लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही नॉमिनेशन पेपर्स भरने के प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है. इसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरकर चुनाव लड़ने और सांसद बनने के लिए दावेदारी कर सकता है. इसके लिए बस शर्त एक ही है कि उस व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में अनिवार्य रूप से मौजूद होना चाहिए.


देश की राजनैतिक पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित करती है और अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारती है, इसे ही पार्टी का टिकट मिलना भी कहते है. नामांकन के दौरान प्रत्याशी पार्टी (दल) के सिंबल के साथ नामांकन पत्र जमा करते हैं, जिसके बाद चुनाव आयोग उनको उसी सम्बंधित पार्टी का सिंबल देता है.


प्रत्याशी ऐसे जमा कर सकते है नामांकन पत्र


लोकसभा चुनाव 2024 के एलान के बाद चुनाव आयोग ने देश के हर हिस्से में अलग-अलग लोकसभा सीटों के लिए निर्वाचन पदाधिकारी और ऑर्ब्जवर्स नियुक्त किए है. कोई भी प्रत्याशी जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंच कर अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं. नामांकन के साथ ही उम्मीदवारों को एक निर्धारित जमानत राशि भी चुनाव आयोग के समक्ष जमा करनी होती है.


चुनाव अधिकारी के अनुसार कोई भी प्रत्याशी नामांकन पत्र जमा करने की प्रक्रिया के दौरान सीमित गाड़ियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ ही साथ इन गाड़ियों को निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से 100 मीटर पहले ही खड़ा करने का आदेश रहता है. इस दौरान निर्वाचन अधिकारी से बिना इजाजत कोई भी प्रत्याशी ढोल-नगाड़े का भी उपयोग नहीं कर सकता है.


शपथ पत्र में देनी होती है हर एक जानकारी


लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी को नामांकन पत्र जमा करते समय एक नोटरी स्तर पर बना शपथ पत्र भी जमा करना होता है. उम्मीदवार को इस शपथ पत्र में अपने आय-व्यय के ब्यौरा से लेकर हर एक जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को देनी होती है और सुनिश्चित करना होता है कि उसकी दी हुई हर एक जानकारी सही व सटीक हो. इस दौरान प्रत्याशी को पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी जैसे कागज चुनाव आयोग को सौंपने होते हैं. सांसद बनने से पहले प्रत्याशी को नामांकन पत्र में अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा, पत्नी और और अगर आश्रित बच्चें है तो उनकी भी आय- व्यय एवं लोन की सारी जानकारी देनी पड़ती है.


इसके साथ ही साथ उम्मीदवारों के पास कितने हथियार हैं, कितना जेवर हैं और शैक्षणिक योग्यता जैसी जानकारी भी प्रस्तुत करनी होती है. कमाई के साधनो को भी नामांकन पत्र में बताना होता है. इसके अलावा उम्मीदवार पर कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं? कितने मामले में कोर्ट केस चल रहा है? और कितने केसेस में सजा हुई है, ऐसी जानकारी भी बतानी होती है. इन सभी मामलों की जानकारी एफिडेविट के माध्यम से सही-सही देनी होती है.


स्क्रूटनी और नामांकन पत्र वापस लेने की प्रोसेस काफी अहम


एक बार नामांकन पत्र दाखिल कर देने के बाद चुनाव आयोग प्रत्याशियों की हर एक जानकारी को बारीकी से जांचता है, इसी प्रक्रिया को स्क्रूटनी कहा जाता है. नामांकन के बाद नाम वापसी के लिए भी आयोग कुछ दिन निर्धारित करता है. इस समय तक उम्मीदवार अगर चाहे तो चुनाव से अपना नाम वापस ले सकता है. चुनाव आयोग के मुताबिक नामांकन पत्र को सही-सही भरा जाना चाहिए, अगर नॉमिनेशन पेपर्स में कुछ भी गलती निकलती है तो ऐसे नामांकन पत्र को अवैध मान कर उम्मीदवारी भी रद्द कर दी जाती है.


इसके बाद नामांकन और स्क्रूटनी में सब सही पाए जाने पर प्रत्याशी को अपनी मर्जी से नाम वापस लेने का भी समय मिलता है. इसके लिए प्रत्याशी को एक एफिडेविट में घोषणा पत्र देना होता है. इसमें नाम वापसी की जानकारी देनी होती है, फिर वेरिफिकेशन के बाद चुनाव आयोग प्रत्याशी का नाम वापस कर देता है. इन सभी प्रक्रियाओं के बाद उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा सकता है.