Lok Sabha Elections 2024: 400 से ज्यादा सीट जीतने के लिए 72 सीटों पर बीजेपी को लगाना होगा जोर, महज 2-3 फीसदी वोट पूरा कर सकते हैं पीएम मोदी का सपना
Lok Sabha Elections 2024: भारतीय जनता पार्टी का आगामी लोकसभा चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का सपना महज 2-3 फीसदी वोट शेयर बढ़ने पर पूरा हो सकता है. वह सीटें अहम है, जहां बीजेपी उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे.
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों के एलान में बेहद कम समय बचा है. अगले महीने दूसरे सप्ताह में चुनाव आयोग तारीखों का एलान कर सकता है. पिछले चुनाव में भारी बहुमत के साथ सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. बीजेपी के इस सपने को पूरा करने के लिए अकेले 350 से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी. वहीं, सहयोगी दलों को भी 50 से ज्यादा सीटें अपने नाम करनी होंगी. हालांकि, 72 सीटें ऐसी हैं, जहां कुछ फीसदी वोट शेयर बढ़ने पर बीजेपी का सपना पूरा हो सकता है.
ये 72 सीटें वही हैं, जहां पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे. इन 72 में से लगभग 40 सीटों पर अगर बीजेपी के पक्ष में 2-3 फीसदी वोट आ जाते हैं तो विपक्षी दल के वोट कम भी उतने ही फीसदी कम होंगे और बीजेपी का उम्मीदवार आसानी से जीत जाएगा. ऐसे में आसानी से एनडीए गठबंधन का 400 से ज्यादा सीटें जीतने का सपना पूरा हो जाएगा.
कांग्रेस का 1984 का प्रदर्शन है लक्ष्य
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 414 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था. यह लोकसभा चुनाव में अब तक किसी भी पार्टी का सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन है. बीजेपी की कोशिश इसी प्रदर्शन को दोहराने की है. इस समय कांग्रेस को लगभग 50 फीसदी वोट मिले थे. ऐसे में बीजेपी यह भी समझती है कि 400 से ज्यादा सीटें जीतने के लिए उसे 50 फीसदी वोट शेयर हासिल करना होगा. 2009 में 18.8 फीसदी वोट पाने वाली बीजेपी को 2014 में 31.34 और 2019 में 37.7 फीसदी वोट मिले. सीटें भी 2014 में 119 से बढ़कर 2014 में 282 और 2019 में 303 पहुंच गईं. वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 1984 के बाद कम ही हुआ है. 2019 में इसमें मामुली बढ़त आई है. ऐसे में बीजेपी का सपना सच हो सकता है.
I.N.D.I.A गठबंधन बना सिरदर्द
विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन बीजेपी के लिए सिरदर्द बन गया है. पहले विपक्षी दलों के वोट आपस में बंट जाते थे, लेकिन इस चुनाव में ऐसा नहीं होगा. ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार के वोट शेयर बढ़ने पर भी जीत की गारंटी नहीं है. क्योंकि विपक्षी दलों को मिलने वाले सभी वोट एक ही उम्मीदवार को जाएंगे. इसी वजह से बीजेपी अशोक चव्हाण और मिलिंद देवड़ा जैसे नेताओं को अपने साथ जोड़ने के अलावा आरएलडी जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन भी कर रही है.