Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में गठबंधन कर लिया है. राज्य की 80 सीटों में से 67 सीटों पर अखिलेश यादव अपने उम्मीदवार उतारेंगे और 17 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. 21 सीटों की चाहत रखने वाली कांग्रेस 17 सीट पाकर भी फायदे में है. वहीं, समाजवादी पार्टी शुरुआत में कांग्रेस को 10 सीट भी नहीं देना चाहती थी, लेकिन 2017 की तरह अखिलेश यादव की उदारता से पार्टी को नुकसान हो सकता है.
अखिलेश ने 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 100 से ज्यादा सीट दे दी थी. इनमें से सिर्फ सात सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी जीते थे. वहीं, 2019 में मायावती के साथ गठबंधन में अखिलेश ने बहुजन समाजवादी पार्टी को ज्यादा सीटें दे दी थीं और मायावती की पार्टी को इसका फायदा मिला था. इस बार भी वैसा ही होने के आसार हैं.
कांग्रेस ने जो चाहा वही पाया
कांग्रेस को अखिलेश ने रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया की सीट दे दी है. कांग्रेस इनमें से बुलंदशहर या मथुरा की जगह श्रावस्ती सीट ले सकती है. इस स्थिति में कांग्रेस को वह हर सीट मिल रही है, जहां उसके जीतने की कोई भी संभावना है. इनमें से 10 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत मुश्किल ही दिख रही है.
छोटे भाई की भूमिका में नहीं है कांग्रेस
सीटों की संख्या के लिहाज से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में काफी अंतर है, लेकिन कांग्रेस गठबंधन में छोटे भाई की भूमिका में नहीं है. प्रेस कांफ्रेंस भी समाजवादी पार्टी या कांग्रेस के कार्यालय की बजाय तटस्थ स्थल पर हुई. प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार कम है. राज्य में पार्टी के सांसद और विधायकों की संख्या से भी यह साफ झलकता है. ऐसे में इस गठबंधन से कांग्रेस के पास खोई जमीन वापस पाने का मौका है. इस गठबंधन से अखिलेश की पार्टी को कोई फायदा नहीं मिलेगा, लेकिन कांग्रेस को समाजवादी पार्टी के यादव वोटर और मुस्लिम वोटरों का साथ मिल सकता है. मुस्लिम वोटर हमेशा के लिए कांग्रेस के साथ जुड सकते हैं. इससे समाजवादी पार्टी का वोट बैंक कम होगा, जबकि कांग्रेस की खोई जमीन वापस लौटेगी.
I.N.D.I.A गठबंधन को फायदा
देश के सबसे बड़े राज्य में विपक्ष की दो सबसे अहम पार्टियों के साथ आने से विपक्षी दलों के गठबंधन को नया जीवन मिला है. चुनाव से पहले ही यह गठबंधन खत्म होता दिख रहा था, लेकिन यूपी में इसके सफल होने के बाद अन्य राज्यों में भी इसके कारगर साबित होने की उम्मीद है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ आने से ऐसे सभी वोटर, जो बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते हैं. वह सभी गठबंधन को वोट देंगे. इससे गठबंधन को फायदा मिलेगा और यह एनडीए को चुनौदी दे सकता है.
समाजवादी पार्टी और एनडीए को नुकसान
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के बाद समाजवादी पार्टी ही सबसे बड़ा दल है. पूरे राज्य में इसके वोटर हैं और हवा बदलने पर अखिलेश ही यूपी में मुख्यमंत्री का चेहरा हैं. कांग्रेस की स्थिति ऐसी नहीं है. इस गठबंधन से समाजवादी पार्टी के वोटर कांग्रेस के पास जा सकते हैं. इससे कांग्रेस के लिए राज्य में वापसी के दरवाजे खुलेंगे. वहीं, समाजवादी पार्टी की स्थिति कमजोर होगी और सबसे बड़े विपक्षी दल के रूप में इसकी स्थिति कमजोर होगी.
इस गठबंधन का सबसे बड़ा नुकसान एनडीए गठबंधन को होगा. दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़तीं तो दोनों के वोट आपस में बंटते. अगर कांग्रेस 4-5 सीट भी जीतती तो इसका असर नहीं होता. अब दोनों के साथ आने से वोट नहीं बटेंगे. इस स्थिति में एनडीए उम्मीदवार को जीतने के लिए ज्यादा मतों की जरूरत होगी. वहीं, कांग्रेस-सपा की सीटें मिलकर अंतिम नतीजे में बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं.
यह भी पढ़ेंः SP-Congress Alliance: यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन इतनी सीटों पर हुआ फाइनल, जल्द घोषित होंगे उम्मीदवार