Lok Sabha ELections 2024: केवल दो बार यहां जीती BJP, क्या एक बार फिर होगी राहुल-स्मृति ईरानी की कांटे की टक्कर, अमेठी सीट का सियासी गणित जानिए
Amethi Lok sabha Seat: एक बार फिर राहुल गांधी अपने परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं. क्या फिर से दोनों नेताओं के बीच होगी कांटे की टक्कर.
Rahul Gandhi Vs Smriti Irani: भारत की 18वीं लोकसभा सभा के लिए अगले साल 2024 में होने वाले आम चुनाव की सियासी बिसात बिछ चुकी है. इसी कड़ी में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के लिए भी सियासी मंच फिर से तैयार हो रहा है.
यहां बात हो रही कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और बीजेपी की तेज तर्रार मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) की. कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि एक बार फिर राहुल गांधी अपने परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से वहां की सांसद स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं.
क्या कहता है अमेठी का इतिहास
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में यह सीट काफी प्रतिष्ठित मानी जाती है. कांग्रेस के लिहाज से यह सीट उत्तर प्रदेश में उसकी सियासी धुरी का काम करती है. 1977 से लेकर अब तक सिर्फ तीन मौके ऐसे आएं हैं जब कांग्रेस को यहां शिकस्त झेलनी पड़ी है. पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी को 1977 में यहां पराजय का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1980 में हुए चुनाव में संजय गांधी ने यहां से सांसद चुने गए थे. ज्यादातर यह सीट गांधी परिवार के पास ही रही.
अमेठी में तीन बार कांग्रेस को मिली शिकस्त
पिछले पांच दशकों के चुनावी नतीजों पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस को यहां सिर्फ तीन बार हार का सामना पड़ा है. पहली बार 1977 में जनता लहर के दौरान रवींद्र प्रताप सिंह ने संजय गांधी को हराया था. दूसरी बार 1998 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले संजय सिंह ने कैप्टन सतीश शर्मा को हराया था. वैसे संजय सिंह एक समय कांग्रेस के दिग्गज नेताओं शामिल हुआ करते थे. तीसरी बार बीजेपी की स्मृति ईरानी ने 2019 में राहुल गांधी को शिकस्त देकर अपनी पिछली हार का बदला लिया था.
राहुल गांधी बनाम स्मृति ईरानी
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने की घोषणा कर उत्तर प्रदेश का सियासी पारा बढ़ा दिया है. अगर राहुल गांधी अमेठी से लड़ते हैं तो स्मृति ईरानी से उनकी यह तीसरी टक्कर होगी. राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के बीच चुनावी मुकाबले की बात की जाए तो दोनों के बीच राजनीतिक मैच 1-1 से बराबरी पर चल रहा है. 2014 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने बीजेपी की स्मृति ईरानी को एक लाख से अधिक वोटों से हराया था. वहीं 2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55 हजार से कुछ अधिक वोटों से शिकस्त दी थी.
2019 की तुलना में कम वोट के बाद भी राहुल गांधी जीते थे 2014 चुनाव
2014 में राहुल गांधी को 4,08,651 वोट मिले थे, वहीं स्मृति ईरानी को 3,00,748 वोट मिले थे. इसके बाद 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी को कुल 4,68,514 वोट मिले और राहुल गांधी को 4,13,394 वोट. इन आंकड़ों को देखे तो साफ नजर आता है कि अमेठी में वोटर बढ़े, लेकिन वह कांग्रेस से नहीं जुड़े. 2014 की तुलना में राहुल गांधी को अधिक वोट मिले थे. फिर भी वह 2019 में चुनाव हार गए. नया वोटर बीजेपी के साथ जुड़ गया. जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ. 2019 में बीजेपी को 49.71 प्रतिशत और कांग्रेस को 43.46 परसेंट वोट मिले थे.
अमेठी का चुनावी गणित और वोटर
अमेठी लोकसभा के अंतर्गत कुल पांच विधानसभाएं लगती हैं. इनमें अमेठी, तिलोई, गौरीगंज, सलोन और जगदीशपुर शामिल हैं. पांच में तीन विधानसभा सीटों पर बीजेपी काबिज है, वहीं दो सीटों पर समाजवादी पार्टी जीतने में सफल रही. इन पांचों सीटों में से चार पर कांग्रेस के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. अमेठी को 1967 में लोकसभा निर्वाचन सीट घोषित किया गया था.
यहां से गांधी परिवार के संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी चुनाव लड़ चुके हैं. जातिगत समीकरण को देखें तो यहां पर 66.5 परसेंट हिंदू हैं. वहीं 33.04 प्रतिशत मुस्लिम हैं. राहुल गांधी जिस सीट वायनाड से जीते थे वहां की मुस्लिम आबादी 28.65 प्रतिशत है. वायनाड के ये आंकड़े 2011 की जनगणना के अनुसार बताए गए हैं. वहीं 2013 के आंकड़ों के अनुसार अमेठी की कुल आबादी 15 लाख थी.
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