Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए समाजवादी पार्टी अपने 31 उम्मीदवारों के नाम का एलान कर चुकी है. अखिलेश यादव ने अपने उम्मीदवारों की तीन सूचियां जारी की हैं. तीसरी सूची में इकरा हसन का नाम भी शामिल हैं. उत्तर प्रदेश का राजनीति में इकरा का नाम नया नहीं है, लेकिन वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं. इकरा हसन को कैराना लोकसभा सीट से टिकट मिला है. इस सीट में मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में हैं और वह बीजेपी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सकती हैं.


इकरा ने 2022 में अपने भाई नाहिद हसन के लिए चुनाव प्रचार किया था. नाहिद उस समय जेल में थे और इकरा के दम पर ही वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर कैराना विधानसभा सीट से जीत हासिल करने में सफल रहे.


कौन हैं इकरा हसन?
इकरा हसन दिवंगत पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है. इकरा के दादा अख्तर हसन 1984 में कैराना लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीते थे. इसके बाद उनके पिता लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद चारों सदनों के सदस्य रह चुके हैं. उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. लंदन से पढ़ाई करने वाली इकरा की मां तबस्सुम हसन एक बार बहुजन समाजवादी पार्टी और एक बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा सांसद रह चुकी हैं. 2019 में वह हार गई थीं.


बीजेपी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सकती हैं इकरा
कैराना लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में हैं. इस वजह से इकरा यहां से मौजूदा सांसद बीजेपी के प्रदीप चौधरी को कड़ी टक्कर दे सकती हैं. हालांकि, बीजेपी ने इस सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है, लेकिन मौजूदा सांसद को टिकट मिलने की संभावना बहुत ज्यादा है. 2019 लोकसभा चुनाव में प्रदीप को 5,66,961 वोट मिले थे और समाजवादी पार्टी के टिकट पर इकरा की मां तबस्सुम हसन को हार झेलनी पड़ी थी. उन्हें 4,74,801 वोट मिले थे. इस बार समीकरण अलग हैं. 2019 में समाजवादी पार्टी के साथ बीएसपी और आरएलडी थे. इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी साथ हैं. बीएसपी अकेले हैं और आरएलडी का बीजेपी के साथ जाना तय है. ऐसे में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के वोटर मिलकर इकरा को सांसद बना सकते हैं.


अब तक क्यों नहीं मिला था टिकट?
कैराना लोकसभा सीट से लंबे समय से इकरा हसन को टिकट देने की चर्चा हो रही थी. कैराना और मुजफ्फरनगर उन सीटों में थीं, जिन्हें लेकर अखिलेश और जयंत चौधरी के बीच बात नहीं बना पा रही थी. रालोद से गठबंधन टूटने के बाद इकरा को टिकट मिलने का रास्ता साफ हो गया. इकरा की लोकप्रियता और उनके परिवार की राजनीतिक विरासत उन्हें लोकसभा सांसद बना सकती है.

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