Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सपा ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है. इस सूची में मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजल अंसारी का नाम भी शामिल है, अफजल को गाजीपुर लोकसभा सीट से टिकट मिला है. अंसारी परिवार लगभग की राजनीतिक विरासत लगभग 100 साल से चली आ रही है. 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार आने के बाद मुख्तार परिवार पर नकेल कसी गई है और मुख्तार सहित उनके अन्य सहयोगियों को जेल हुई है. इस परिवार की काफी संपत्ति भी जब्त हुई है, लेकिन अभी भी राजनीति में अंसारी परिवार का दबदबा कायम है.
मौजूदा समय में अफजल अंसारी गाजीपुर सीट से सांसद हैं. 2019 में उन्होंने बीजेपी के मंत्री राकेश सिन्हा को हराया था. अब फिर से उन्हें समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया है. वहीं, मुख्तार के बड़े बेटे अब्बास अंसारी मऊ सदर सीट से विधायकर हैं. वह सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन एनडीए गठबंधन में आने के बाद पार्टी ने उनसे पल्ला झाड़ लिया. कहा गया कि अब्बास समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार थे, जिन्हें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ाया गया था. उस समय दोनों पार्टियां गठबंधन में थीं. हालांकि, रिकॉर्ड के अनुसार अब्बास सुहेलदेव समाज पार्टी के विधायक हैं, जो एनडीए गठबंधन का हिस्सा है.
अंसारी परिवार का इतिहास
मुख्तार अंसारी के दादा स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस और मुस्लिम लीग के अध्यक्ष रहे थे. उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापना भी की थी. उनकी गिनती महात्मा गांधी के बेहद करीबी लोगों में होती थी. 1936 में उनकी मौत के बाद उनके बेटे सुब्हानउल्लाह अंसारी ने कम्यूनिस्ट धारा से जुड़कर राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया. अंसारी परिवार की तीसरी पीढ़ी में अफजल अंसारी 1985 में मोहम्मदबाद सीट से विधायक बने. बाद में मुख्तार और सिगबतुल्लाह अंसारी भी राजनीति में आए. मुख्तार के चाचा हामिद अंसारी देश के उप-राष्ट्रपति रह चुके हैं. इसके अलावा, मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी भी सेना के ब्रिगेडियर थे, जिन्हें सेना का सर्वोच्च सम्मान में से एक महावीर चक्र मिला था.
पूर्वी उत्तर प्रदेश में है दबदबा
मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं. 2004 और 2019 में भी वह यहां से सांसद बने थे. समाजवादी पार्टी ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया है.
मुख्तार अंसारी के अलावा उनके बड़े बेटे अब्बास अंसारी, पत्नी अफसा अंसारी और छोटे बेटे उमर अंसारी पर मनी लॉन्ड्रिंग सहित कई मामले दर्ज हैं. मऊ, गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, घोषी में इस परिवार का दबदबा है. अंसारी परिवार से उम्मीदवार की जीत तय रहती है, इस वजह से पार्टियां उनको टिकट देने से नहीं कतराती हैं.
मुख्तार का सफर
मुख्तार अंसारी पहले ठेकेदार थे. 1996 में पहली बार मुख्तार मऊ सीट पर बहुजन समाजवादी पार्टी की सीट पर चुनाव जीतकर विधायक बने. 1996 से 2022 के बीच मुख्तार अंसारी पांच बार विधायक रहे. एक नेता के दावे के अनुसार 2003 से 2017 तक पूर्वी यूपी में राज्य सरकार के अधिकतर कॉन्ट्रैक्ट मुख्तार अंसारी को मिलते थे. मऊ में अंसारी परिवार 1996 से जीत रहा है, जबकि गाजीपुर में भी कई बार जीत हासिल की है. 2009 में मायावती ने मुखतार अंसारी को गरीबों का मसीहा कहा था.
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