Elections of 1980: भारत में पहली बार आपातकाल साल 1975 में इंदिरा गांधी के शासन में लगा था, जिसके बाद पहली बार देश में एक गैर-कांग्रेसी सरकार का बनी थी. मोरारजी देसाई उस सरकार में प्रधानमंत्री बने, लेकिन जल्द ही जनता पार्टी के नेताओं की आपसी खींचतान के चलते ये सरकार गिर गई. 


इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बनें, जल्द ही ये सरकार भी गिर गई. फिर साल 1980 में लोकसभा चुनावों का ऐलान हुआ. इन्हीं सब के बीच इंदिरा गांधी वापस सत्ता में आने को आतुर थीं. इंडियन एक्सप्रेस की कंट्रिब्यूटिंग एडिटर नीरजा चौधरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जनता पार्टी के नेताओं को सरकार गिरने के बाद कुछ समझ नही आ रहा था कि आखिरकार क्या करना है.


सत्ता में वापसी को तैयार थी इंदिरा


1980 में हुए लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद इंदिरा गांधी प्रचार में जुट गईं. नीरजा चौधरी अपनी फेमस किताब 'हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड' के बारे में बात करते हुए यूट्यूब चैनल को बताती हैं कि, चुनाव ऐलान के तुरंत बाद इंदिरा गांधी प्रचार के लिए निकल गई थी. वो प्रचार में अपने साथ आठ साड़ी, दो थर्मस (दूध और पानी के लिए) और एक जापानी LED लाइट लेकर मैदान में उतर गई थीं. इंदिरा गांधी ये बखूबी जानती थी कि लोग उन्हें देखना चाहते हैं, इसलिए इंदिरा जब भी रात में ट्रैवल करतीं तो वो जापानी LED लाइट जलाकर अपने सामने रख लेती थीं. अपने सिंपल चुनाव प्रचार के साथ वो जनता के बीच जाती और सीधे शब्दों में वोट मांगती थी.    


RSS ने की थी इंदिरा गांधी की मदद


लोकसभा चुनाव 1980 में एक और अजब-गजब बात ये हुई थी कि आपातकाल के कारण मुस्लिम कांग्रेस से नाराज थे. इस वजह से कांग्रेस को इस चुनाव में मुस्लिमों का ज्यादा वोट नहीं मिला, लेकिन हिंदू मतदाताओं ने इस बार कांग्रेस को समर्थन दिया था. 1980 के आम चुनावों में 353 सीटें जीत कर इंदिरा गांधी ने सत्ता में धमाकेदार वापसी कर ली थी. इंदिरा ने व्यक्तिगत तौर पर कई मौकों में ये माना था कि इन 353 सीटों में RSS का भी बड़ा योगदान था. हालांकि, उन्होंने ये बात कभी जनमानस के सामने नहीं मानी.


इंदिरा का ये फार्मूला पीएम मोदी करते हैं इस्तेमाल


इंदिरा गांधी की ही तरह पीएम मोदी भी जब कार से सफर करते है, तब पूरी गाड़ी में अंधेरा रहता है बस उनके सामने एक ब्लू LED लाइट जलती रहती है. इस लाइट की रोशनी से लोग उनको आसानी से देख पाते हैं. ऐसा ही कुछ अनोखा प्रचार साल 1980 लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी भी किया करती थीं. 


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