Lok Sabha Elections 2024: KGF में कांग्रेस बनाम JDS, बीजेपी मैदान से बाहर, गोल्ड लैंड में किसकी होगी जीत?
Lok Sabha Elections 2024: कोलार लोकसभा सीट में कांग्रेस पिछला चुनाव हार गई थी. बड़ी माथापच्ची के बाद यहां से केवी गौतम को टिकट मिला है. वहीं बीजेपी जीत के बावजूद यहां चुनाव नहीं लड़ रही है.
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कर्नाटक की कोलार लोकसभा सीट से एनडीए और I.N.D.I.A. दोनों गठबंधन अपने उम्मीदवार तय कर चुके है. एनडीए से जेडीएस ने एम मलेश बाबू को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, I.N.D.I.A. गठबंधन में कांग्रेस ने केवी गौतम को टिकट दिया है. सोने की खदानों के लिए मशहूर कोलार फिल्म केजीएफ के बाद ज्यादा चर्चा में रहा है. केजीएफ का अर्थ कोलार गोल्ड फील्ड से है. इस नाम की विधानसभा सीट भी है, जहां से कांग्रेस की रूपकला एम विधायक हैं.
कोलार लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से 2 चिकबलूर जिले के हैं, जबकि 6 कोलार जिले के हैं. इनमें से 5 विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि 3 जेडीएस के खाते में है. यहां सबसे ज्यादा 28 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति के हैं. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 12 फीसदी है. यहां 70 फीसदी ग्रामीण और 30 फीसदी शहरी मतदाता हैं.
कांग्रेस-बीजेपी दोनों ने बदले पैंतरे
2019 लोकसभा चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी के एस मुनिस्वामी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के केएच मुनियप्पा को हराया था. मुनियप्पा कई बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. वह 30 साल से ज्यादा सांसद के रूप में काम कर चुके हैं, लेकिन हार के बाद वह राज्य की राजनीति में चले गए और अब देवनहली सीट से विधायक हैं. वह राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. इस बार भी वह अपनी पसंद के उम्मीदवार को कोलार से टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन 5 विधायकों ने ऐसा होने पर इस्तीफे की बात कही. विरोध के बाद पार्टी ने रणनीति बदली और केवी गौतम को टिकट दिया. वहीं, बीजेपी ने 2019 में जीत के बावजूद यह सीट एनडीए गठबंधन में अपने सहयोगी जेडीएस को दे दी. जेडीएस ने एम मलेश बाबू को यहां से टिकट दिया है.
केजीएफ का इतिहास
1871 में बिट्रिश सैनिक माइकल लेवेली ने एक आर्टिकल में कोलार गोल्ड फील्ड्स के बारे में पढ़ा और अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को मारने के बाद 1875 में खुदाई शुरू की. खदानों में रोशनी के लिए कावेरी बिजली केंद्र बनाया गया और कोलार बिजली पाने वाला देश का पहला शहर बन गया. इसके बाद खुदाई में तेजी आई और 1902 तक भारत का 95 फीसदी सोना कोलार से निकलने लगा. हालांकि, आजादी के बाद यहां सोना निकालने की लागत बढ़ने लगी और 2001 में यहां से निकलने वाले सोने की कीमत इसकी लागत से कम हो गई. ऐसे में यहां खदानें बंद कर दी गईं.
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