(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Election: कश्मीरी पंडित ने मताधिकार का किया इस्तेमाल, फिर भी दिल में रह गई एक कसक, जानें वोट डालने के बाद क्या कहा
Lok Sabha Elections: चुनाव आयोग के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट पर दोपहर 3 बजे तक यहां 44.9 फीसदी वोटिंग हो चुकी थी. इससे पहले 2019 के चुनाव में यहां केवल 34.57 फीसदी ही वोट पड़े थे.
Lok Sabha Elections 2024: जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट पर प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने जगती टाउनशिप में कश्मीरी प्रवासियों के लिए बनाए गए विशेष मतदान केंद्र में अपना वोट डाला. इस दौरान एक प्रवासी कश्मीरी पंडित सुनील ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि साल 1990 के बाद से हमारा वोट किसी काम का नहीं था, लेकिन आज ऐसा लगता है कि हमारे वोट की कुछ कीमत है.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान वोट डालने आए कश्मीरी पंडित सुनील ने बताया कि जिस तरह से हमने पिछले 34 साल का निर्वासन जिया है, हमारा वोट उस निर्वासन के समाधान में एक योगदान की तरह लगता है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारा अगला मतदान हमारी मातृभूमि में होगा. हालांकि, इस बार कश्मीरी पंडितों को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए.
बारामूला में बंपर वोटिंग, दोपहर 3 बजे तक 45% हुआ मतदान
लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में कई हाईप्रोफाइल सीटें शामिल हैं. जिसमें जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट जो इस चुनाव में बेहद खास है. इस सीट से पूर्व सीएम उमर अब्दुला मैदान में उतरे हैं. जबकि, पीडीपी की ओर से फयाज अहमद मीर चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, दोपहर 3 बजे तक यहां पर 44.9 फीसदी वोटिंग हो चुकी थी. हालांकि, इससे पहले 2019 के चुनाव में यहां केवल 34.57 फीसदी वोट ही पड़े थे. माना जा रहा है कि वोटिंग के आखिरी समय में ये आंकडा 50 फीसदी पर पहुंच जाएगा.
#WATCH | Jammu, J&K: A migrant Kashmiri Pandit, Sunil says, "... Since 1990, our vote was of no use. But today, it feels like our vote has some value... The way we have lived 34 years of exile, our vote seems like a contribution to the solution of that exile... We hope our next… https://t.co/iqhE0ClDY4 pic.twitter.com/OHlGYjRNST
— ANI (@ANI) May 20, 2024
बारामूला लोकसभा सीट सबसे संवेदनशील
दरअसल, बारामूला लोकसभा सीट देश का सबसे संवेदनशील क्षेत्र है. यह लंबे समय से आतंकवाद से पीड़ित क्षेत्र रहा है. जिसके चलते लोग यहां पर अपने घरों से वोट देने नहीं निकलते थे, लेकिन 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था. इसके बाद से यहां पर पहली बार चुनाव हो रहा है. वहीं, इस बार किसी भी संगठन ने चुनाव का बहिष्कार नहीं किया है.