(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Elections 2024: मथुरा में हेमा मालिनी के खिलाफ हवा? कौन सा था वो दांव, जिससे बदल गया सियासी समीकरण, जानें
Lok Sabha Elections 2024: मथुरा में कुछ विषयों को लेकर हेमा के प्रति नाराजगी है, लेकिन यहां बीजेपी उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है. हालांकि, जयंत चौधरी और विजेंदर सिंह ने यहां के समीकरण बदले हैं.
Lok Sabha Elections 2024: भारतीय जनता पार्टी की सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी को लोकसभा चुनाव में मथुरा में कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. 75 वर्षीय हेमा नरेंद्र मोदी सरकार की छवि और काम पर बहुत अधिक निर्भर हैं, साथ ही उन्हें बृज मंडल में चल रही हिंदुत्व लहर पर भी भरोसा है. हेमा मालिनी के खिलाफ I.N.D.I.A. गठबंधन से ओलंपियन बॉक्सर विजेंदर सिंह और बहुजन समाज पार्टी से पूर्व-आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह मैदान में हैं.
मथुरा में जाट वोटों का बड़ा हिस्सा है, लगभग 5 लाख वोट हैं. हेमा मालिनी लोकप्रिय बॉलीवुड स्टार धर्मेंद्र की पत्नी होने के नाते जाट समुदाय के समर्थन का दावा करती हैं. बॉक्सर विजेंदर सिंह हरियाणा के भिवानी से आते हैं, लेकिन मथुरा का प्रतिनिधित्व करने के इच्छुक हैं. बसपा के सुरेश सिंह सेवानिवृत्ति के बाद मथुरा में एक शैक्षणिक संस्थान के प्रमुख हैं और अपने शैक्षणिक और सामाजिक कार्यों के कारण उनकी छवि साफ-सुथरी है. राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी जाट वोट बैंक के बीच पकड़ रखते हैं और 2014 में हेमा से हारने के बाद अब वह एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं. इससे हेमा को फायदा मिलेगा. हालांकि, विजेंदर की एंट्री ने यहां का चुनाव रोमांचक बना दिया है.
हेमा से नाराज हैं मथुरावासी
हेमा मालिनी मथुरा और वृंदावन की रूपरेखा बदलने और कई बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को शुरू करने में बहुत सक्रिय रही हैं. उनके नेतृत्व में मथुरा वृन्दावन तीर्थ विकास बोर्ड ने एक दर्जन विकास कार्य किए हैं. श्रीकृष्ण भक्त हेमा मालिनी मथुरा से सांसद के रूप में अपने कार्यकाल में अपने अधूरे एजेंडे को पूरा करने की इच्छुक हैं. हालांकि, स्थानीय लोगों की शिकायतों की एक लंबी सूची भी है, जिनमें प्रमुख यह है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र की तुलना में मुंबई में ज्यादा समय बिताती हैं. कई लोग उन्हें वृन्दावन, गोवर्धन और बरसाना में यमुना की सफाई, औद्योगिक विकास और भीड़ प्रबंधन जैसे लंबे समय से लंबित स्थानीय मुद्दों को हल करने में विफलता के लिए दोषी मानते हैं.
बीजेपी की जीत तय!
मथुरा के वरिष्ठ पत्रकार पवन गौतम कहते हैं, ''लोग इस बार मोदी के नेतृत्व वाली पार्टी को वोट देंगे, उम्मीदवारों को नहीं, इसलिए जिसे भी टिकट मिलेगा वह आराम से जीत जाएगा.'' टीवी 9 के सर्वे में भी कहा गया कि मथुरा में बीजेपी उम्मीदवार की जीत हो सकती है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 मार्च को मथुरा में स्थानीय बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए चुनाव प्रचार शुरू किया. उन्होंने संकेत दिया कि मथुरा अब ध्यान का केंद्र होगा और वृन्दावन की संकरी गलियां बदलाव की हकदार हैं. मथुरा में 26 अप्रैल को मतदान होना है.
मथुरा के जातीय समीकरण
मथुरा में जाट के बाद ब्राम्हण वोट बैंक सबसे ज्यादा है. इनकी संख्या 3 लाख से ज्यादा है. ठाकुरों की संख्या भी 3 लाख के करीब है. मुस्लिम और जाटव मतदाता करीब डेढ़ लाख हैं. वैश्य मतदाता करीब एक लाख और यादव मतदाता 70 हजार के करीब हैं. अन्य जातियों के करीब एक लाख वोटर हैं. यहां से हेमा मालिनी लगातार 2 बार सांसद बन चुकी हैं. सीट के समीकरण भी उनके पक्ष में हैं, लेकिन विजेंदर की एंट्री और कुल मतदाताओं की नाराजगी उनकी लड़ाई को मुश्किल बना सकती है.
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