Story of Second Lok Sabha Elections: भारत की आजादी के बाद देश में पहली बार लोकसभा चुनाव साल 1951-52 के बीच कराए गए थे. इसके बाद दूसरे लोकसभा चुनाव साल 1957 में आयोजित हुए थे. देश के इस चुनाव को करने में साढ़े तीन महीने का लंबा वक्त लगा था. 


चुनाव में तब कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाई थी. इसी चुनाव में देश के 10वें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पहला लोकसभा चुनाव जीता था. इलेक्शन से जुड़ी चुनावी किस्सों की इस रिपोर्ट में हम बता रहे हैं देश के दूसरे लोकसभा चुनाव की कहानी: 


साढ़े तीन महीने चला था दूसरा चुनाव


आजाद भारत के इतिहास में साल 1957 का चुनाव साढ़े तीन महीने लंबा चला था. यह चुनाव 24 फरवरी से 9 जून 1957 तक चला था, जबकि पहले आम चुनाव में कुल 489 लोकसभा सीटें थीं, जो परिसीमन में पांच सीट बढ़ाए जाने के बाद दूसरे आम चुनाव में 494 के अंक पर पहुंच गई थीं. देश के दूसरे चुनाव में कुल मतदाताओं में 45.44 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला था. चुनाव में कांग्रेस ने वोट शेयर में छलांग लगते हुए 47.8 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जो पिछले चुनाव में 45 प्रतिशत था. देश के दूसरे चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया उभरी थी, जिसे नौ फीसदी वोट मिले थे.


किस पार्टी का कैसा था प्रदर्शन? 


देश के दूसरे लोकसभा चुनाव में हर सीट पर औसतन तीन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस प्रमुख पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस 47.87 फीसदी मतों के साथ 371 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) नौ फीसदी मतों के साथ 27 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर रही थी. तीसरे नंबर पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी रही थी, जिसने 19 सीटें जीती थी. वहीं, जनसंघ ने इस चुनाव में छह फीसदी मतों के साथ चार सीटें जीती थीं.   
 
अटल जीते थे पहला चुनाव


भारत के 10वें पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने जनसंघ के टिकट पर साल 1957 लोकसभा चुनाव लड़ा था और उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से जीत दर्ज कर पहला चुनाव जीता था. इस चुनाव में अटल बिहारी ने तीन लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था, जिसमें लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर सीटें थीं. इसी चुनावी साल में पीएम जवाहरलाल नेहरू ने उनकी कुशल वक्ता होने को लेकर तारीफ की थी और भविष्यवाणी की थी, "अटल बिहारी एक दिन भारत के पीएम बनेंगे."


यह भी पढ़ें- Lok Sabha Elections 2024: इंदिरा गांधी की पहली और आखिरी चुनावी हार, रायबरेली बना था 'जंग' का मैदान, पढ़िए यह रोचक किस्सा