Lok Sabha Elections 2024: साल 2014 वो साल रहा है जिसने कांग्रेस को केंद्र की सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया और अभी तक पार्टी वापसी की कोशिशों में लगी हुई है. अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. विपक्ष के कई दलों के साथ मिलकर ‘इंडिया’ नाम के नए गठबंधन की घोषणा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक के बेंगलुरू में की. अब पार्टी इस बार के लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर करना चाहती है.


पिछले दो लोकसभा चुनावों की अगर बात करें तो साल 2019 में कांग्रेस ने कुल 52 सीटें जीती थीं. जो साल 2014 की तुलना में सिर्फ 8 सीटें ज्यादा रही. वोट शेयर 19.5 प्रतिशत का रहा जो 2014 के चुनावों के बराबर ही रहा. सीटों के नंबर में बदलाव जरूर दिख रहा हो लेकिन इन्ही नंबरों पर करीब से नजर डालें तो पता चलता है कि 2019 में कांग्रेस ने बहुत संघर्ष किया.


साल 2019 का प्रदर्शन कांग्रेस के लिए क्यों खराब रहा?


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में कांग्रेस ने 52 सीटें जीती थीं. इसमें जीत का औसत अंतर 8.6 प्रतिशत का था जो साल 2014 में 44 सीटों के 13.6 प्रतिशत से 5 प्रतिशत कम था.


इसके अलावा अगर दो नेशनल पार्टीज बीजेपी और कांग्रेस के बीच लड़ाई को अगर देखें तो साल 2014 में 189 सीटें ऐसी थीं जिन पर दोनों पार्टियों के बीच सीधी फाइट थी. इनमें से बीजेपी ने 88 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ 166 सीटों पर जीत हासिल की थी.


साल 2019 में 192 सीटें ऐसी थीं जहां पर कांग्रेस और बीजेपी सीधे लड़ाई में थी लेकिन यहां भी बीजेपी ने 92 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ 176 सीटें जीत लीं. इससे पता चलता है कि बीजेपी ने कांग्रेस के सामने अपने प्रदर्शन को बेहतर किया है.


वहीं, साल 2019 में कांग्रेस 262 सीटों पर फाइटिंग पोजिशन में थी. इनमें से वो या तो जीती या फिर उपविजेता रही. साल 2014 में ऐसी सीटों की संख्या 268 थी और साल 2009 में 350 सीटें ऐसी थीं. 426 सीटों में से 141 सीटें ऐसी रहीं जहां पर कांग्रेस या तो तीसरे नंबर पर रही या चौथे नंबर पर.


16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ


साथ ही 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे रहे जहां पर कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. उनमें आंध्र प्रदेश, लक्षद्वीप, दिल्ली, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, चंडीगढ़, उत्तराखंड, त्रिपुरा, सिक्किम, राजस्थान, नागालैंड, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं.


राहुल गांधी की अमेठी से हार


इन नंबरों को भी अलग कर दें तो उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी का अमेठी से चुनाव हार जाना पार्टी के लिए प्रतीकात्मक हार के रूप में सामने आई. कांग्रेस के लिए दक्षिण के राज्य से थोड़ी तसल्ली भरे रहे. केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 20 में से 19 सीटें जीतीं. राहुल गांधी खुद संसद में केरल के वायनाड से जीत गए.


इन राज्यों में राहुल गांधी की लोकप्रियता पीएम मोदी से ज्यादा


इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया पोस्ट पोल के आंकड़ों से पता चलता है कि तीन दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश में राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी से अधिक लोकप्रिय थे. पंजाब और तेलंगाना में उनकी लोकप्रियता का अंतर इन राज्यों की तुलना में कम दिखा. बाकी मामलों में पीएम मोदी राहुल गांधी से कहीं आगे रहे.


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