कोलकाता: पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए माकपा (सीपीआईएम) नीत वाम मोर्चा के साथ सीटों के बंटवारे पर जारी बातचीत रविवार को रद्द करते हुए अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया. दरअसल, पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे ने गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत के बीच 25 उम्मीदवारों की घोषणा की थी. जिसकी वह से कांग्रेस नाराज थी.
सीपीआईएम के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस की ओर से औपचारिक संदेश मिलने तक वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. वाम मोर्चा ने आगे की रणनीति तय करने के लिए सोमवार को बैठक बुलायी है.
रविवार शाम बंद कमरे में हुई पार्टी की बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी इकाई ने तय किया है कि वह अपने सम्मान के साथ समझौता कर कोई तालमेल या गठबंधन नहीं चाहती है. वाम हमारे ऊपर हुकुम नहीं चला सकता है कि कौन उम्मीदवार होगा और कौन नहीं. हम बंगाल में अकेले लड़ेंगे.’’
ध्यान रहे कि बीजेपी के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रही कांग्रेस पश्चिम बंगाल के अलावा भी कई राज्यों में गठबंधन करने में असफल रही है, जिसमें से उत्तर प्रदेश सबसे अहम है.
रविवार को कांग्रेस के इस फैसले ने पश्चिम बंगाल में चुनावी मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है और तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी, वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला होगा.
लोकसभा चुनाव: पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 20.1 लाख फर्स्ट टाइम वोटर्स की संख्या
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. 2014 के चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने शानदार सफलता हासिल की थी और 34 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं सीपीएम दो, बीजेपी दो और कांग्रेस चार सीट जीती थी. पश्चिम बंगाल में सभी सात चरणों में वोट डाले जाएंगे.