कुशीनगर: कांग्रेस ने आरपीएन सिंह, भाजपा ने विजय दूबे तो सपा-बसपा गठबंधन ने नथुनी कुशवाहा पर लगाया दांव
सपा बसपा गठबंधन के प्रत्याशी घोषित होने के बाद सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए. अब जीत का सेहरा किसके सर बंधेगा यह तो 23 मई को ही पता चल पाएगा लेकिन गठबंधन से प्रत्याशी घोषित होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई इस बार सीधी होगी.
कुशीनगर: उत्तर प्रदेश का आखिरी और बिहार से सटा कुशीनगर जनपद भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वान स्थली के नाम से जाना जाता है. कुशीनगर जनपद में कुल सात विधानसभा की सीटे हैं. कुशीनगर लोकसभा शीट पांच विधानसभा शीट (खड्डा, पडरौना, कुशीनगर, हाटा और रामकोला)से मिलकर बना है और जिसमें से दो विधानसभा तमकुहीराज ( 331)और फाजिलनगर (332) देवरिया लोकसभा में पड़ता है.
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सपा बसपा गठबंधन के प्रत्याशी घोषित होने के बाद सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए. अब जीत का सेहरा किसके सर बंधेगा यह तो 23 मई को ही पता चल पाएगा लेकिन गठबंधन से प्रत्याशी घोषित होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई इस बार सीधी होगी.
भाजपा ने लोकसभा के लिए पूर्व विधायक विजय दूबे को प्रत्याशी बनाया है. विजय दूबे का राजीनीतिक इतिहास कोई बहुत बड़ा नहीं रहा है लेकिन वह योगी आदित्यनाथ जी के करीबी माने जाते हैं. योगी जी की सेना हियुवा के जिला संयोजक रहे विजय दूबे को 2009 में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था. 2009 में विजय दूबे को 162000 (एक लाख बासठ हजार) मत मिले थे और वह तीसरे नंबर पर रहे. उसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस की टिकट पर खड्डा विधानसभा से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए.
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विधायक बनने के बाद विजय दूबे 3 साल तो कांग्रेस में काम करते रहे लेकिन उसके बाद हुए राज्यसभा सदस्य के चुनाव में कांग्रेस ने नाता तोड़कर भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर दी और अपने कार्यकाल के 6 माह पहले ही उन्होंने विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा का दामन थाम लिए. 2017 के विधानसभा चुनाव में विजय दूबे फिर से खड्डा विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन भाजपा ने उनको उम्मीदवार नहीं बनाया।.उसके बाद वह शांत पड़ गए. हालांकि भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य बन गए. इस बार विजय दूबे को फिर से प्रत्याशी बनाया गया है. अब देखना होगा कि वर्तमान सांसद का टिकट काट कर विजय दूबे को प्रत्याशी बनाना भाजपा को कहां तक सफलता दिलाती है.
दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने पांचवी बार आरपीएन सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. आरपीएन सिंह यूपीए -2 की सरकार में सड़क ट्रांसपोर्ट एवं कारपोरेट मंत्रालय में राज्यमंत्री और पेट्रोलियम व गृह राज्यमंत्री रहे थे. आपको बता दें कि 2009 में सांसद चुने जाने के पहले आरपीएन सिंह कुशीनगर जनपद की पडरौना विधानसभा सीट से 1996, 2002 और 2007 में तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके हैं. आरपीएन सिंह 4 बार लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा चुके हैं लेकिन सफलता सिर्फ एक बार मिली है. आरपीएन सिंह इस बार पांचवी बार लोकसभा के प्रत्याशी घोषित किए गए हैं.आरपीएन सिंह को पूरा विश्वास है कि राहुल गांधी ने नेतृत्व में उनकी सरकार केंद्र में बनने जा रही है.
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बात करें कि सपा बसपा गठबंधन की तो गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. गठबंधन में सपा के खाते में रही इस शीट से नथुनी कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया गया है. आपको बता दें कि नथुनी कुशवाहा शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं. नथुनी कुशवाहा आरएसएस के स्वयंसेवक भी रहे हैं. 1994 में जब देवरिया जिले से कुशीनगर जनपद का नवसृजन हुआ उस समय नथुनी कुशवाहा सपा के जिलाध्यक्ष बने थे. 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की टिकट पर पडरौना विधानसभा शीट से चुनाव लड़े लेकिन जीत का सेहरा नही बंध पाया और यह तीसरे नंबर पर चले गए.फिर इन्होंने बसपा का दामन थाम लिया और 2004 लोकसभा चुनाव में यह बसपा के सिंबल पर अपना भाग्य आजमाए लेकिन सफलता नहीं मिल पाई और वह तीसरे नंबर पर रहे.
उसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा से ही सेवरही विधानसभा से चुनाव लड़े और इस बार भी तीसरे नंबर पर रहे और जीत दर्ज नही कर पाए. उसके बाद नथुनी कुशवाहा ने बसपा का साथ छोड़कर फिर सपा का दामन थाम लिया और 2012 के विधानसभा चुनाव में खड्डा विधानसभा से सपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ गए लेकिन इस बार भी वह जीत नहीं पाए हालांकि स्थिति सुधरी और सभी चुनावों में तीसरे नंबर पर रहने वाले नथुनी कुशवाहा दूसरे नंबर पर रहे.उसके बाद से नथुनी कुशवाहा समाजवादी पार्टी से जुड़े रह गए. इस बार सपा-बसपा गठबंधन ने इन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. अब देखना यह है कि नथुनी कुशवाहा सपा मुखिया की उम्मीदों पर कहां तक खरा उतरते हैं.
बता दें कि भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वान स्थली होने के चलते यह बौद्ध धर्म के अनुयाइयो के लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन का केंद्र भी है. यहां हर वर्ष लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं. कुशीनगर जनपद सन 1994 में देवरिया जनपद से अलग होकर बना था.