BJP-Congress Strategy for Loksabha Election: 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस और बीजेपी अलग-अलग वर्ग के वोटरों को अपनी ओर खींचने में लगी है. महिला वोटरों को साधने के लिए मोदी सरकार ने जहां महिला आरक्षण कानून को पास कराया तो कांग्रेस ने भी इसे समर्थन दिया. वहीं अब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) वोटरों को अपनी ओर खींच रही है.


ओबीसी में भी उन लोगों पर ज्यादा फोकस है जिनके पास जमीन नहीं है और ये लोग अपने पारंपरिक पारिवारिक व्यवसायों में लगे हुए हैं. सितंबर की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'विश्वकर्मा योजना' शुरू की, जिसका उद्देश्य बढ़ई, कुम्हार, सुनार, लोहार, नाव बनाने वाले, मोची, राजमिस्त्री, नाई और दर्जी जैसे कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ प्रदान करना है. ये लोग ओबीसी समुदाय में प्रमुख रूप से शामिल हैं.


राहुल गांधी भी लगातार कर रहे मुलाकात


दूसरी ओर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मजदूर वर्ग समुदाय के लोगों के बीच जाकर उनसे मुलाकात कर रहे हैं. उन्होंने हाल ही में दिल्ली के एक बाजार में बढ़ई से मुलाकात की. इससे पहले वह रेलवे स्टेशन पर कुली से मिले थे. कुली से पहले राहुल गांधी दोपहिया वाहन मिकैनिकों से भी मिल चुके हैं. इन कामों में लगे अधिकतर लोग ओबीसी समाज से आते हैं.


इनका किसी विशिष्ट पार्टी से जुड़ाव नहीं 


इकॉनमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों पार्टियों के नेताओं का यह मानना है कि यादव, कुर्मी, जाट और कई अन्य ओबीसी को अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने ऊपर उठाने की कोशिश नहीं की है. ये वो लोग हैं जिनके पास अपनी जमीन भी नहीं है और ये अपने पारिवारिक पेशे में लगे हुए हैं. इन्हें मुख्य रूप से एमबीसी (सबसे पिछड़ा वर्ग) के रूप में देखा जाता है और ये जमीन वाले ओबीसी से बहुत पीछे हैं.


ऐसे ओबीसी जो पारंपरिक पारिवारिक पेशे में हैं, उन्हें फ्लोटिंग वोटर्स के रूप में भी देखा जाता है, जिनका किसी विशिष्ट पार्टी से स्थायी जुड़ाव नहीं होता है. वहीं यादव जैसे भूमि मालिक ओबीसी की पहचान उत्तर प्रदेश में सपा और राजद के साथ, कुर्मियों की पहचान बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) के साथ और इसी तरह अन्य जातियां विभिन्न राज्यों में अन्य पार्टियों के साथ की जाती है, पर भूमिहीन ओबीसी की कोई पहचान नहीं है.


राहुल आगे भी जारी रखेंगे ऐसे लोगों से मिलना


कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी कामकाजी वर्ग के आम लोगों से मिलना जारी रखेंगे, जो ओबीसी हो सकते हैं. लेकिन असली उद्देश्य आर्थिक संकट के मद्देनजर उनकी कठिनाइयों को सुर्खियों में लाना है.


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