Loksabha Election 2024: 17वीं लोकसभा का कार्यकाल अगले साल खत्म होगा. यह लोकसभा बीजेपी (BJP) को मिले प्रचंड बहुमत के अलावा कई और वजहों से जानी जाएगी. 17वीं लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या 27 (अब एक निलंबित) है, जबकि 16वीं लोकसभा में यह संख्या 23 थी. यानी इस आंकड़े में 4 सांसदों का इजाफा हुआ था. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक,, लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की सबसे अधिक संख्या 1980 में थी, उस वक्त इस समुदाय से 49 सांसद चुने गए थे. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, देश की आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 10.5% है,  लेकिन इस लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व 4.42% ही है.


लोकसभा में BJP के पास एक भी मुस्लिम सांसद नहीं


वहीं, दूसरी तरफ 2014 की तरह, भारतीय जनता पार्टी एकमात्र विजेता पार्टी है जिसके पास एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने कश्मीर में तीन, पश्चिम बंगाल में दो और लक्षद्वीप में एक मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था, लेकिन ये सभी हार गए.


उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से ऐसी है स्थिति


उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है. इन दोनों ही प्रदेशों से 2019 में 6-6 मुस्लिम सांसद लोकसभा में आए. गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अफजाल अंसारी,  सहारनपुर से फजलुर रहमान, अमरोहा से दानिश अली, रामपुर से समाजवादी पार्टी के आजम खान, संभल से शफीक रहमान बर्क और मुरादाबाद से एसटी हसन लोकसभा पहुंचे थे. हालांकि इसमें से अफजाल अंसारी को अब अयोग्य करार दिया जा चुका है. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में छह मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उनमें से कोई भी सीट नहीं जीत सका. बात अगर पश्चिम बंगाल की करें तो यहां तृणमूल कांग्रेस के पांच और कांग्रेस के एक मुस्लिम सांसद लोकसभा में हैं. वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीता था.


अन्य राज्यों में भी नहीं हैं अच्छे हालात


जम्मू-कश्मीर से तीन मुस्लिम सांसद हैं और ये सभी नेशनल कॉन्फ्रेंस के हैं. बिहार से 2019 में दो मुस्लिम सांसद चुने गए, केरल से तीन और असम से दो मुस्लिम सांसद चुने गए. 2019 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मोहम्मद फैज़ल ने लक्षद्वीप की एकमात्र सीट से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के मोहम्मद सादिक ने पंजाब की फरीदकोट सीट पर विजयी हासिल की थी. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के उम्मीदवार के नवास कानी तमिलनाडु के रामनाथपुरम से जीते थे. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तहादुल मुस्लिमीन  (AIMIM) के 17वीं लोकसभा में दो सांसद हैं. हैदराबाद से पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जीत हासिल की थी, जबकि महाराष्ट्र के औरंगाबाद से इम्तियाज जलील ने जीत दर्ज की थी. औरंगाबाद में पार्टी ने प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुगण अघाड़ी के साथ गठबंधन किया था.


ये है कम प्रतिनिधित्व की बड़ी वजह


राजनीतिक वैज्ञानिक गाइल्स वर्नियर्स का मानना है कि बीजेपी में कुछ लोगों की ओर से भड़काई गई मुस्लिम विरोधी भावना के कारण भाजपा के बाहर दूसरे दलों से नाम मात्र के ही मुस्लिम उम्मीदवार खड़े हो रहे हैं. दरअसल, "हिंदू विरोधी" का टैग लगने के डर से कांग्रेस और अन्य पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवारों को बढ़ावा देने से बच रही हैं.


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