MP-Rajasthan Election 2023: इस साल नवंबर-दिसंबर में मध्य प्रदेश और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूरी तकत झोंक दी है. पार्टी पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर दोनों जगह वोटरों को साधने में लगी हुई है. मध्य प्रदेश में जहां बीजेपी की सरकार है और पार्टी फिर से वापस आना चाहती है तो वहीं राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को मात देकर सत्ता में वापसी चाहती है.


इन दोनों राज्यों में किसकी सरकार बनेगी, यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान यह दोनों ही राज्य बीजेपी की भविष्य की राजनीति के संकेत जरूर दे रहे हैं. मध्य प्रदेश में जहां सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार रैलियों में भावुक हो रहे हैं और जाने के बाद बहुत याद आने जैसी बातें कर रहे हैं तो दूसरी ओर राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे रैलियों और पोस्टर से दूर नजर आ रही हैं. आइए जानते हैं इन दोनों के मायने क्या हैं.


मध्य प्रदेश में नए विकल्प की तलाश!


चुनावी रैलियों में जिस तरह शिवराज सिंह चौहान भावुक हो रहे हैं उससे संकेत मिल रहे हैं कि अगर बीजेपी इस बार सत्ता में आती है तो वह शायद ही सरकार की अगुवाई करेंगे. चार बार मध्य प्रदेश के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार (3 अक्टूबर) को अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी में जनसभा के दौरान लोगों से पूछा कि क्या उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए, क्या उन्हें बुधनी से चुनाव लड़ना चाहिए? इन सवालों से लग रहा है कि शायद उन्हें पार्टी में अब दूसरों के लिए रास्ता बनाने को कहा जा रहा है. यही नहीं, रविवार (1 अक्टूबर) को अपने गृह जिले सीहोर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनके बाहर निकलने के बाद लोग उन्हें याद करेंगे.


इस वजह से मिल रहे हैं संकेत


मध्य प्रदेश के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची में भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों और चार सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा सांसद गणेश सिंह, रीति पाठक, राकेश सिंह और उदय प्रताप सिंह को इस बार विधानसभा चुनाव में उतारा गया है. इससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि पार्टी राज्य स्तर पर नेतृत्व परिवर्तन पर विचार कर रही है.


इन नामों के अलावा बीजेपी ने इंदौर-1 विधानसभा सीट से राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया है. विजयवर्गीय ने बुधवार को रैली में कहा कि पार्टी ने उन्हें सिर्फ विधायक बनने के लिए नहीं भेजा है, बल्कि बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. विधानसभा चुनाव लड़ रहे इन सभी नेताओं के समर्थकों को उम्मीद है कि चुनाव के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. बीजेपी ने अभी तक सीएम चेहरे की घोषणा नहीं की है और न ही चौहान को दोबारा सीएम पद की गारंटी दी है. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी अब मध्य प्रदेश में नया चेहरा तलाश रही है.  


राजस्थान में भी दिख रहा बदलाव का इशारा!


राजस्थान में भी मध्य प्रदेश की तरह बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. राजस्थान की दो बार सीएम रह चुकीं वसुंधरा राजे को पार्टी ने अभी तक कोई महत्वपूर्ण प्रचार जिम्मेदारी नहीं दी है. राजे अभी अपने समर्थकों की ओर से आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के दौरान हर दिन 2-3 सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करती हैं. पीएम के दौरे के दौरान भले ही प्रोटकॉल की वजह से वह उनकी जनसभा में नजर आईं हों लेकिन बड़े स्तर के अभियान में वह नजर नहीं आईं हैं. वह छोटी सभाओं को संबोधित करते हुए अपने खुद के कार्यक्रमों में व्यस्त रहती हैं. पार्टी ने इस बार सीएम फेस की घोषणा भी नहीं की है. चुनाव प्रचार के पोस्टरों पर भी इस बार वसुंधरा राजे का वह कद नजर नहीं आ रहा है. इन सबसे अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि पार्टी यहां वसुंधरा राजे की जगह दूसरा विकल्प तलाश रही है.


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