BJP CM Face in Rajasthan, Madhya Pradesh and Chhattisgarh : मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है. मतदान के परिणाम 3 दिसंबर को आएंगे और किसकी सरकार बनेगी, यह साफ हो जाएगा. पर इन सबके बीच जो एक चीज साफ नहीं है, वो ये कि इन राज्यों में अगर बीजेपी जीत दर्ज करती है तो उसकी तरफ से सीएम कौन होगा. दरअसल, इस बार पार्टी ने कहीं भी सीएम फेस का ऐलान नहीं किया है.


मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान सीएम हैं. शिवराज चार बार सीएम रह चुके हैं, लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. इन दोनों ही जगहों पर बीजेपी सत्ता में वापस आना चाहती है, लेकिन यहां भी कोई सीएम फेस नहीं है. दोनों जगह पूर्व सीएम (वसुंधरा राजे और रमन सिंह) इस बार साइड लाइन नजर आ रहे हैं. इन सबसे तीनों ही राज्यों में बीजेपी की तरफ से सीएम पद के कई दावेदारों की चर्चा होने लगी है. आइए जानते हैं कौन-कौन हैं रेस में.


मध्य प्रदेश में कई बड़े नाम आगे


बेशक मौजूदा सीएम शिवराज सिंह चौहान इस बार भी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन अपनी जनसभाओं में जिस तरह के विदाई वाले और भावुक बातें उन्होंने कही हैं, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार पार्टी प्रदेश में बड़े बदलाव की तैयारी में है और किसी नए चेहरे को यह मौका दे सकती है. इस बदलाव को बल इस बात से भी मिलता है कि पार्टी ने इस बार 7 सांसदों को भी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उतारा है.


इन नामों से मिल रहे बदलाव के संकेत


बीजेपी ने इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में 7 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा है. इनमें से तीन तो केंद्रीय मंत्री (नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रह्लाद पटेल) भी हैं. इसके अलावा सांसद गणेश सिंह, राकेश सिंह, रीति पाठक और  उदयप्रताप सिंह भी इस बार विधायक बनने की रेस में हैं. इन सबके बीच एक और बड़ा नाम जिन्हें पार्टी ने केंद्र की राजनीति से फिर से राज्य में ला दिया है, वो हैं कैलाश विजयवर्गीय.


ये हैं सीएम उम्मीदवार की रेस में


1. शिवराज सिंह चौहान – भले ही शिवराज सिंह चौहान को पार्टी ने अभी सीएम फेस घोषित न किया हो, लेकिन चुनाव जीतने के बाद हो सकता है कि पार्टी एक बार फिर उन्हें मौका दे दे. लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता, करीब 20 साल तक सीएम रहने का अनुभव और अच्छा प्रोफाइल उन्हें अब भी सीएम पद के दावेदारों में टॉप पर बनाए हुए है.


2. कैलाश विजयवर्गीय – जिस तरह बीजेपी आलाकमान ने कैलाश विजयवर्गीय को केंद्र की राजनीति से एक बार फिर प्रदेश में जिम्मेदारी दी है, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह सीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. कैलाश की छवि अच्छी है. 1983 में पहली बार इंदौर नगर निगम में पार्षद बने. फिर 1990 में इंदौर-4 सीट से पहली बार विधायक बने. वर्ष 2000 में इंदौर के मेयर भी बने. 2013 में शिवराज सरकार में कई विभाग के मंत्री बने. 2015 में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी मिली और पश्चिम बंगाल का प्रभार मिला.


3. फग्गन सिंह कुलस्ते – बीजेपी की तरफ से सीएम के दावेदारों में इनका नाम भी काफी मजबूत है. केंद्रीय मंत्री से अचानक विधायक का टिकट मिलना इसी ओर इशारा कर रहा है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी फग्गन सिंह कुलस्ते को मध्यप्रदेश का पहला आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर इस वर्ग को साध सकती है. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल से सत्ता में बैठी बीजेपी को हरा दिया था. इसके पीछे आदिवासी सीटों का अहम योगदान था. बीजेपी को उस चुनाव में 25 आदिवासी सीटों का नुकसान हुआ था, जिसे पार्टी फिर से पाना चाहती है.


4. नरेंद्र सिंह तोमर – नरेंद्र तोमर भी बीजेपी की तरफ से सीएम पद दावेदार हो सकते हैं. अभी केंद्र में मंत्रीपद संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर को पार्टी ने न सिर्फ विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया है, बल्कि उन्हें यहां के लिए चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष भी बनाया है. ऐसे में उनका नाम भी सीएम रेस में बना हुआ है.


राजस्थान में भी कई नाम पर चर्चा


राजस्थान में अब तक वसुंधरा राजे ही पार्टी का चेहरा थीं. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 2018 में हार के बाद पार्टी में उनका कद थोड़ा कम हुआ. यही वजह है कि इस चुनाव के लिए पार्टी ने उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है. यहां भी पार्टी ने 7 सांसदों को मैदान में उतारा है. इनमें से 2 नाम सीएम पद की रेस में सबसे आगे हैं. यहां भी पार्टी की तरफ से सीएम फेस को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.


1. राजकुमारी दीया – राजकुमारी दीया राजस्थान के राजसमंद से सांसद हैं. वह जयपुर के पूर्व महाराज भवानी सिंह की बेटी हैं. राजकुमारी की जयपुर से लेकर राजसमंद तक की सक्रियता ही बार-बार इन अटकलों को हवा देती है कि वह वसुंधरा राजे का विकल्प हो सकती हैं. राजनीतिक जानकार भी बताते हैं कि जिस तरह से राजकुमारी कैमरे पर आकर कांग्रेस को ललकार रही हैं, उससे भी लग रहा है कि राजकुमारी रेस में हैं. दीया 2013 में सवाई माधोपुर से पहली बार विधायक बनीं थीं. दीया वसुंधर राजे की तरह उसी राजपूत जाति से आती हैं जो राजस्थान की सियासत में प्रभावी दखल रखता है.


2. बाबा बालकनाथ – बीजेपी ने राजस्थान में जिन सात सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा है, उनमें एक नाम बाबा बालकनाथ का भी है. वह फिलहाल अलवर से सांसद हैं. बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय के मस्तनाथ मठ से महंत हैं. सीएम योगी भी नाथ संप्रदाय से दीक्षा लेने के बाद गोरखपुर मठ के महंत बने थे. इन्हें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है. कई लोग इन्हें राजस्थान का योगी भी कहते हैं. यही वजह है कि इन्हें भी सीएम पद का दूसरा सबसे बड़ा दावेदार बताया जा रहा है. इन्हें तिजारा से टिकट दिया गया है. इनकी छवि कट्टर हिंदू नेता की है. 2019 लोकसभा चुनाव में इन्होंने अलवर से कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह को 3 लाख वोटों के अंतर से हराया था.


3. किरोड़ी लाल मीणा – सांसद किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान की राजनीति में बड़ा नाम हैं. इन्हें जनजातीय समूहों का नेता कहा जाता है. दरअसल, मीणा समुदाय राजस्थान में किसी भी दल की जीत और हार को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं. राजस्थान की कुल आबादी का लगभग 13.5 पर्सेंट जनजातीय आबादी है और इनमें से 6 प्रतिशत आबादी मीणा समुदाय की है. इसलिए हर दल इस समुदाय को अपने खेमे में रखना चाहता है. बीजेपी भी किरोड़ी लाल मीणा के जरिये इस वोट बैंक पर नजर बनाए हुए है. इसी वजह से इनका नाम सीएम पद की दौड़ में है.


3. राजवर्धन सिंह राठौड़ - राजवर्धन सिंह राठौड़ भी सीएम पद की रेस में हैं. बेहतर छवि, लोगों में लोकप्रियता इन्हें बाकी दावेदारों के साथ खड़ा करती है. फिलहाल राजवर्धन सिंह राठौड़ जयपुर ग्रामीण से सांसद हैं. इस बार पार्टी ने इन्हें विधानसभा चुनाव के लिए झोटवाड़ा सीट से टिकट दिया है.


छत्तीसगढ़ में भी कई दावेदार


छत्तीसगढ़ में भी 2018 में बीजेपी को 15 साल बाद हार का सामना करना पड़ा था. तब के सीएम रमन सिंह अब पहले जैसी स्थिति में नहीं हैं. ऐसे में यहां भी सीएम पद के लिए कई नामों की चर्चा हो रही है. हालांकि यहां सीएम पद के दावेदार भी जाति फैक्टर के हिसाब से ही सामने आ रहे हैं.


1. डॉ. रमन सिंह – रमन सिंह को भले ही पार्टी ने सीएम फेस घोषित नहीं किया है, लेकिन उनके 15 साल तक सीएम रहने के अनुभव ने उन्हें अब भी सीएम पद के लिए सबसे बड़ा दावेदार बनाए रखा है. पार्टी ने उन्हें भी इस बार टिकट दिया है. इसका मतलब है कि वह रेस में बने हुए हैं.


2. बृजमोहन अग्रवाल – रमन सिंह के अलावा सामान्य वर्ग से आने वाले बृजमोहन अग्रवाल भी मुख्यमंत्री पद की रेस के दावेदार बताए जा रहे हैं. इन्हें चुनावी रणनीति बनाने और उसे अंजाम देने में महारथ है.


3. संतोष पांडे - राजनांदगांव के संतोष पांडे युवा हैं और इसी वजह से सीएम पद की रेस के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने वाले दूसरे सांसद हैं.


4. कुछ औऱ नाम भी रेस में – इनके अलावा ओबीसी से 4 चेहरे भी सीएम पद के दावेदार बताए जा रहे हैं. इनमें बिलासपुर से सांसद अरुण साव, पूर्व नौकरशाह ओपी चौधरी, वर्तमान नेता प्रतिपक्ष कौशिक, दुर्ग से सांसद विजय बघेल, एसटी वर्ग से आने वाली और केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, रामविचार नेताम और नंदकुमार साय का नाम भी सीएम पद की रेस में बना हुआ है.


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