Madhya Pradesh CM First Decision: मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव कमान संभालते ही एक्शन में नजर आ रहे हैं. मोहन यादव ने शपथ ग्रहण करने के एक दिन बाद ही अपना पहला फैसला लिया. इसमें उन्होंने लाउडस्पीकर और मांस पर नकेल कसी है. वहीं विपक्ष मोहन यादव के इन फैसले पर सवाल खड़े कर रहा है.


मोहन यादव ने गुरुवार को पहली कैबिनेट मीटिंग बुलाई. इसके बाद उन्होंने दो बड़े फैसले लिए. इसमें पहला है धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर लाउडस्पीकर की आवाज को कंट्रोल करना, जबकि दूसरा है खुले में मांस की बिक्री पर रोक लगाना. बीजेपी के विधायक मुख्यमंत्री के इन फैसलों का स्वागत कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस सवाल उठा रही है.


सरकार ने किया फ्लाइंग स्क्वॉड का गठन


मध्य प्रदेश सरकार ने ध्वनि प्रदूषण के मामलों की जांच के लिए फ्लाइंग स्क्वॉड का गठन किया है. यह टीम ध्वनि प्रदूषण की शिकायत मिलते ही उस एरिया में जाएगी और कार्रवाई करेगी. इस टीम को धार्मिक स्थलों का औचक निरीक्षण करने को भी कहा गया है.


उमा भारती ने समर्थन में कही ये बात


मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी इसकी तारीफ की है. उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, मध्य प्रदेश की नव निर्वाचित सरकार के मुखिया मोहन यादव जी की कैबिनेट ने खुले में मांस व अंडे की बिक्री पर सख्ती और धार्मिक स्थानों पर जोर से बजते हुए लाउडस्पीकर पर रोक से जुड़े जो दोनों फैसले लिए हैं, वो काफी सराहनीय हैं. दोनों समस्याएं सामान्य जनजीवन के लिए बहुत बड़ी परेशानी थीं, उन पर नियंत्रित प्रतिबंध लगाकर नई सरकार ने अपनी मानवीय संवेदनशीलता का परिचय दिया है, नए मुख्यमंत्री व उनकी कैबिनेट का अभिनंदन.






क्या है गाइडलाइंस


बता दें कि ध्वनि प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पहले से एक गाइडलाइंस है. मोहन यादव सरकार ने इन्हीं का पालन कराने क लिए आदेश दिया है. ध्वनि प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए चार कैटेगरी हैं. इसके तहत इंडस्ट्रियल एरिया में दिन की ध्वनि सीमा 75 डेसिबल, रात की 70 डेसिबल होनी चाहिए. वहीं कर्मर्शियल एरिया में दिन की सीमा 65 डेसिबल और रात की 55 डेसिबल होनी चाहिए. रिहायशी इलाके में दिन की सीमा 55 डेसिबल और रात की 45 डेसिबल होनी चाहिए. शांत क्षेत्र में दिन की सीमा 50 डेसिबल और रात की सीमा 40 डेसिबल है.


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