भोपाल: साध्वी प्रज्ञा के नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने पर मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कमलनाथ ने कहा है कि शुक्र है कि उन्होंने ये नहीं कहा कि वह देवता थे. कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी की सच्चाई हर देशवासी को समझनी चाहिए. इसके साथ ही कमलनाथ ने पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर कहा कि बीजेपी को अब साफ कर देना चाहिए उसका चुनाव आयोग के साथ गठबंधन है. बता दें कि बयान पर विवाद बढ़ता देख साध्वी ने माफी मांग ली थी.


कमलनाथ ने कहा, ''मैं साध्वी प्रज्ञा के बयान की सख्त निंदा करता हूं. शुक्र है उन्होंने यह नहीं कहा कि वह देवता थे. अभी तक उन्होंने कहा कि वह देश भक्त हैं, यह बयान भाजपा की सोच का प्रतीक है. पहले कहलवा दो और उसके बाद उसका खंडन कर दो. भाजपा के बारे में यह सच्चाई हमारे हर देशवासी को पहचाननी चाहिए कि इनकी सोच में कितनी खोट है. हमारे राष्ट्रपिता के बारे में ऐसी बात कहने वालों के खिलाफ तो मेरा मानना है ,कानूनी कार्रवाई होना चाहिए.


पश्चिम बंगाल के मामले मामले पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, ''यह चुनाव आयोग और सरकार का एक गठबंधन है ,यह गठबंधन का परिणाम है. भाजपा स्वीकार करती है कि उसका अन्य दलों से गठबंधन है तो उन्हें अब यह भी स्वीकार करना चाहिए कि उनका चुनाव आयोग से भी गठबंधन है.''


प्रियंका गांधी ने कहा- राष्ट्रपिता का हत्यारा देशभक्त? हे राम!
प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, ''बापू का हत्यारा देशभक्त? हे राम!'' उन्होंने कहा, ''अपने उम्मीदवार के बयान से आपका दूरी बनाना पर्याप्त नहीं है. भाजपा के राष्ट्रवादी सितारों के पास अपना रुख स्पष्ट करने की हिम्मत है?''


भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी एवं मालेगांव बम धमाकों की आरोपी प्रज्ञा ने बृहस्पतिवार को कहा कि नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे. भाजपा ने यह कहते हुए प्रज्ञा के बयान से किनारा कर लिया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हत्यारा (नाथूराम गोडसे) देशभक्त नहीं हो सकता है. विवाद खड़ा होने के बाद प्रज्ञा ने अपना बयान वापस लेते हुए माफी मांग ली.


विवादित बयान को लेकर पहले लग चुका है प्रचार पर बैन
बता दें कि शहीद हेमंत करकरे को लेकर दिए आपत्तिजनक बयान के बाद चुनाव आयोग ने साध्वी के चुनाव प्रचार पर 72 घंटे की रोक लगा दी थी. साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि मैंने करकरे को श्राप दिया था इसकी वजह से वे आतंकवादियों के हाथों मारे गए. उनके इस बयान के बाद विपक्षी दलों और आम लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.