Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए काफी महत्वपूर्ण है. 2018 के चुनाव में में पंद्रह साल से सत्ता में कायम बीजेपी को कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा था. कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस ने सरकार बनाई, लेकिन 15 महीने के अंदर ही ज्योतिरादित्य सिंधिया बागी होकर अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. इस वजह से कमलनाथ सरकार गिर गई.
क्योंकि कांग्रेस को पिछले चुनावों में अच्छी सफलता मिली थी, ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी वह बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी. बीजेपी भी इस बात को जानती है कि मुकाबला काफी कठिन होने वाला है. इसिलए उसने अपने तीन वरिष्ठ नेताओं को इस बार विधायक का टिकट दिया है. टिकट कटने से नराज नेता और कार्यकर्ताओं पार्टी छोड़ रहे हैं. इन सबके बीच कई ऐसे बड़े नेता हैं जिन पर लोगों की नजर रहेगी
1. शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह चौहान 1991 में पहली बार विदिशा निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए. इस सीट से उन्होंने तीन बार जीत हासिल की. चौहान 2005 में बाबू लाल गौर के बाद पहली बार मुख्यमंत्री बने. चौहान के कार्यकाल में उमा भारती के विवादास्पद कार्यकाल से एक उल्लेखनीय बदलाव देखा गया, जिसमें उन्होंने जमीनी स्तर की नीतियों और जनता से जुड़ने के उत्साह पर जोर दिया था. धीरे-धीरे वह भाजपा के बड़े नेताओं में शामिल होते गए. 2014 में जब भाजपा नए प्रधानमंत्री के चेहरे की तलाश कर रही थी, तब नरेंद्र मोदी के साथ शिवराज सिंह चौहान भी संभावित उम्मीदवारों में से एक थे. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद चौहान के कद को नुकसान पहुंचा. हालांकि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने से फिर बीजेपी ने सरकार बनाई और चौहान को सत्ता में वापस लाया गया, पर जानकार बताते हैं कि सिंधिया के आने से अब शिवराज सिंह चौहान पहले जितने मजबूत नहीं रहे हैं. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान पर भी इस चुनाव में सबकी नजर रहेगी.
2. ज्योतिरादित्य सिंधिया
नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री, ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 में राजनीति में आए. तब उन्होंने अपने पिता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया की मौत के बाद गुना लोकसभा उपचुनाव जीता था. उन्होंने 2002 से 2019 तक गुना का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के केपी यादव से सीट हार गए. इसके बाद 2020 में उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली. सिंधिया बेशक बीजेपी में आ गए हों और केंद्र में उनका कद भी अच्छा खासा हो, लेकिन प्रदेश स्तर पर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता उन्हें आगे नहीं बढ़ने देना चाहते. उनके साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए कई नेता कांग्रेस में वापस आ चुके हैं. ऐसे में यह चुनाव सिंधिया का भी भविष्य तय करेगा
3. कैलाश विजयवर्गीय
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश के अनुभवी राजनेता कैलाश विजयवर्गीय हाल ही में तब चर्चा में थे जब उन्होंने उम्मीदवारों की दूसरी सूची में इंदौर 1 विधानसभा सीट से अपना नाम देखकर हैरानी जताई थी. पार्टी आलाकमान उन्हें खास मकसद से केंद्र की राजनीति से प्रदेश स्तर पर लाई है, ऐसे में इस चुनाव में उन पर भी सबकी नजर रहेगी.
4. नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश चुनाव के लिए भाजपा की ओर से मैदान में उतारे गए प्रमुख उम्मीदवारों में से एक हैं. वह भाजपा की चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक भी हैं. तोमर 1998 में पहली बार विधायक बने. 2006 और 2012 में दो कार्यकालों के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वह तीन बार मुरैना से सांसद रहे हैं. पार्टी ने खास मकसद से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया है, ऐसे में उन पर भी सबकी नजर रहेगी
5. प्रह्लाद सिंह पटेल
पांच बार सांसद रहे प्रह्लाद सिंह पटेल वर्तमान में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति राज्य मंत्री हैं. लोधी समुदाय के वोटों को मजबूत करने की कोशिश में पार्टी ने पटेल को जालम सिंह पटेल की नरसिंहपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है. चर्चा ये भी है कि वह अपने संगठनात्मक कौशल के कारण सीएम की कुर्सी के प्रबल दावेदार हैं. ऐसे में इन पर भी सबकी नजर रहेगी.
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