Madhya Pradesh Election: मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले BJP को झटका, RSS के कई पूर्व सदस्यों ने मिलकर बनाई पार्टी, बताई ये वजह
Election: जनहित के सदस्यों ने कहा कि, उनकी कांग्रेस में शामिल होने की योजना नहीं है. हम दिल से राजनेता नहीं हैं, बल्कि मिशनरी हैं. हम भाजपा या कांग्रेस के पास नहीं जा सकते. हम स्वतंत्र रूप से लड़ेंगे.
Madhya Pradesh Assembly Election: इस साल के अंत तक मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में एक और पार्टी अस्तित्व में आई है. जनहित (Janhit) नाम की इस पार्टी का गठन आरएसएस (RSS) के उन पूर्व सदस्यों ने किया है, जिन्होंने 15 साल पहले संघ छोड़ दिया था. पार्टी गठन के दौरान संस्थापकों ने कहा कि उनका लक्ष्य कांग्रेस-भाजपा की राजनीति के एकाधिकार को तोड़ना है और राज्य में जनता को "एक नया विकल्प" देना है.
जनहित पार्टी ने रविवार को अपनी पहली बैठक आयोजित की, इसमें 200 से अधिक लोग शामिल हुए. इसके अधिकांश सदस्यों ने 2007 के आसपास आरएसएस छोड़ दिया था. इन लोगों का कहना है कि भाजपा अपनी मूल वैचारिक मान्यताओं से भटक गई है और विपक्षी कांग्रेस पहचान योग्य नहीं रह गई है. मध्य प्रदेश के इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से हिंदुत्व को अपनाया है.
3 महीने पहले बजरंग सेना भी बीजेपी से हुई थी अलग
बता दें कि जनहित का गठन बजरंग दल के एक पूर्व सदस्य की ओर से गठित दक्षिणपंथी संगठन बजरंग सेना के कांग्रेस में शामिल होने के लगभग तीन महीने बाद हुआ है. बजरंग सेना ने भी मध्य प्रदेश में बीजेपी से मोहभंग होने का दावा किया था. हालांकि जनहित के सदस्यों ने कहा कि, “उनकी कांग्रेस में शामिल होने की कोई योजना नहीं है. हम दिल से राजनेता नहीं हैं, बल्कि मिशनरी हैं. हम भाजपा या कांग्रेस के पास नहीं जा सकते. हम स्वतंत्र रूप से लड़ेंगे.”
कांग्रेस बोली- यह भाजपा को आईना दिखाने जैसा
वहीं, कांग्रेस का कहना है कि “आरएसएस के पूर्व सदस्यों की ओर से खुद की पार्टी बनाना भाजपा के अंदर बढ़ते मोहभंग का संकेत है. यह भाजपा को आईना दिखाने जैसा है.” कांग्रेस प्रवक्ता पीयूष बबेले ने कहा, “यहां तक कि आरएसएस के सदस्यों का भी भाजपा से मोहभंग हो गया है, जो भ्रष्टाचार का केंद्र बन गई है.” दूसरी तरफ इस खबर पर भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा “हर किसी को अपनी विचारधारा को जनता के बीच ले जाने का अधिकार है. भाजपा विकास और कल्याण के अपने एजेंडे पर काम करती रहेगी.''
बताई आरएसएस छोड़ने की वजह
जनहित के संस्थापक सदस्य और पूर्व आरएसएस प्रचारक अभय जैन (60) का कहना है कि उनका ध्यान "शासन के मुद्दों" पर है, इसे पूंजीपतियों से दूर "जन-केंद्रित" लक्ष्यों की ओर ले जाना है. जैन कहते हैं कि जब मैं कक्षा 4 में था तभी संघ में शामिल हुआ था, लेकिन 2007 में मोहभंग होने के बाद वह संघ से निकल गए. एक अन्य संस्थापक सदस्य विशाल (45) का कहना है कि “मैं इसकी आरएसएस की मूल विचारधारा के लिए इसमें शामिल हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे मैंने देखा कि हम उस रास्ते पर नहीं चल रहे थे. ऐसे में वहां से निकलने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था.''
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