BJP Undeafeated Fortress MP: मध्य प्रदेश में इस साल के आखिरी में विधानसभा का चुनाव होना है. सत्तारूढ़ बीजेपी इसके लिए अपनी पूरी तैयार में लगी है क्योकि, गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश  एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पार्टी करीब 15 वर्षों से सत्तासीन रही. यह ऐसा राज्य हैं जहां पार्टी महज चार प्रतिशत वोट शेयर से उठकर 50 फीसदी से अधिक वोट शेयर तक पहुंची. बीजेपी साल 2003 से मध्य प्रदेश की सत्ता में बनी रही है. दिसंबर 2018 और मार्च 2020 के बीच की अवधि को छोड़कर, इस समय कांग्रेस की सरकार थी. अब फिर से सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी एक बार फिर अपना यह गढ़ बचा पाएगी? या कांग्रेस 2018 से अधिक सीटें जीत बीजेपी के किला को ध्वस्त करेगी ? आईए जानते हैं बीजेपी और मध्य प्रदेश का सदियों पुराना रिश्ता, जो समय के साथ और मजबूत होता गया है. 


4 प्रतिशत से 30 फीसदी का सफर 
हिंदी भाषाई इस राज्य में पार्टी की जड़ें भारतीय जनसंघ या जनसंघ के जमाने से ही प्रगाढ़ होता आया है. आजादी के बाद, साल 1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जनसंघ ने मध्य प्रदेश की कुल सीटों में से 76 सीटों पर चुनाव लड़ा. जिसमें पार्टी को केवल 4 प्रतिशत वोट शेयर मिला वो भी बिना कोई सीट जीते. जबकि इसके बाद वाले चुनाव में पार्टी अच्छा करते हुए 10 फीसदी वोट शेयर के साथ 10 सीटों पर पहली बार जीत कर आई थी. जिसके बाद से यह सिलसिला लगातार बढ़ता रहा है. 


राज्य में 1967 के विधानसभा चुनावों से लेकर 1977 में जनसंघ के विघटन तक पार्टी का लगभग 30 प्रतिशत वोट शेयर रहा. साल 1962 में ही जनसंघ 17 फीसदी वोटों के साथ कांग्रेस के खिलाफ राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी. इस चुनाव में जनसंघ को कुल 41 विधानसभा सीटें मिली थी. बीजेपी का एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर 1980 में गठन हुआ था, जिसके बाद से भगवा पार्टी हमेशा राष्ट्रीय दल की श्रेणी में रही है. 1980 के मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी को बढ़िया जनादेश प्राप्त हुआ था, जिसमें पार्टी ने कुल 320 विधायक सीटों में से 310 पर चुनाव लड़ी. इस चुनाव में भगवा पार्टी को 60 सीटों पर जीत मिलने का साथ कुल 30 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ था. 


1990 में मिला सत्ता संभालने का मौका 
बीजेपी को आखिर 1990 के  विधानसभा चुनाव में पहला बार मध्य प्रदेश की सत्ता संभालने का मौका मिला. इस चुनाव में पार्टी 220 सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ 39 फीसदी वोट शेयर हासिल की थी. हालांकि, राज्य में सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और तब से 2003 तक यहां कांग्रेस की सरकार रही. राज्य में दोनों राजनीतिक पार्टियों के बीच का ग्राफ एक दूसरे में शिफ्ट करते रहा है. जैसे 1980 में 30 फीसदी वोट शेयर के बावजूद बीजेपी कांग्रेस के 48 प्रतिशत वोट से पीछे थी. जबकि इसके बाद से वोट शेयर धीरे-धीरे बीजेपी का बढ़ता रहा और कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. यहां तक की साल 1993 से 1998 के बीच दोनों पार्टियों के वोट शेयर में केवल दो फीसदी का अंतर रह गया था. 


बीजेपी 2003 के बाद से कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन कर रही है
बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में साल 2003 का विधानसभा चुनाव बड़ा बदलाव लेकर आई. इस चुनाव में पार्टी ने कांग्रेस को बुरी तरह से शिकस्त दी और राज्य में भारी बहुमत के साथ आई थी. 2003 में बीजेपी को कुल 230 विधानसभा सीटों में से 173 सीटों पर जीत मिली और कांग्रेस केवल 38 सीट पर अटक गई. इस जीत के बाद सिर्फ एक टर्म में पार्टी ने मध्य प्रदेश में तीन-तीन मुख्यमंत्री बनाए. उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद नवंबर 2005 में सीएम बने शिवराज सिंह चौहान तब से लेकर अबतक मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं. बीजेपी 2003 के बाद से कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन कर रही है. यहां तक कि 2018 चुनाव में भी पार्टी को कांग्रेस से अधिक वोट मिले थें... 


मध्य प्रदेश बिना किसी डाउट के बीजेपी के लिए एक मजबूत किले की तरह है. पार्टी पिछले 15 सालों में सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बढ़त हासिल करते आई है सिर्फ एक 2018 चुनाव को छोड़ कर, यहां पार्टी का दबदबा रहा है. बीजेपी लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में मध्य प्रदेश की कुल 29 सीटों में से क्रमश: 27 सीट और 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि पार्टी को दोनों आम चुनाव में 50 फीसदी से अधिक वोट शेयर मिला था.  पुराने आंकड़ों को देखते हुए कांग्रेस के लिए मुकाबला मुश्किल है.


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