नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब खुलकर बैटिंग करने लगे हैं. बिना किसी लाग लपेट के नांदेड़ में ओवैसी ने कहा कि सेक्युलरिज़्म को छोड़िए, अपने लोगों को जिताना है. उनके 'अपने' का मतलब मुसलमानों से है. इस बार उनकी पार्टी एआईएमआईएम अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ रही है. प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी से उनका समझौता नहीं हो पाया इसीलिए चुनावी मैदान में ओवैसी अब सिर्फ़ मुस्लिम वोटरों के भरोसे रह गए हैं. वैसे उनकी पार्टी के होर्डिंग और बैनरों पर बाबा साहेब अंबेडकर के भी फ़ोटो लगे होते हैं. जय मीम के साथ जय भीम के नारे भी लगते हैं.
असदुद्दीन ओवैसी 2 अक्टूबर से ही महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. हैदराबाद से उनकी पार्टी के छह विधायकों ने अलग-अलग ज़िलों में डेरा डाल दिया है. एआईएमआईएम के सैकड़ों कार्यकर्ता भी चुनाव प्रचार मे जुटे हैं. सबको उम्मीद है इस बार भी पार्टी के लिए चुनाव ख़ुशखबरी लेकर आएंगे. एआईएमआईएम ने मुस्लिमों के दबदबे वाली 40 सीटों पर पूरी ताक़त झोंक दी है. औरंगाबाद, नांदेड़, बीड, मुंबई, लातूर और अहमदनगर जैसे ज़िलों पर ख़ास ज़ोर है. इन इलाक़ों में मुसलमानों की ठीकठाक आबादी है. उन विधानसभा सीटों के लिए ओवैसी ने ख़ास रणनीति बनाई है, जहां दलित और मुस्लिम मिल कर जीत हार तय करते हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को दो सीटें मिली थीं. मुंबई की बायकुला और औरंगाबाद सेंट्रल. तेलंगाना से बाहर एआईएमआईएम खाता खोलने में कामयाब रही ये पार्टी के लिए बहुत बड़ी बात थी. सोने पर सुहागा तो इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में हुआ. औरंगाबाद सीट पर सबसे बड़ा उलट फेर हो गया. शिवसेना के गठन से ही ये सीट पार्टी के क़ब्ज़े में थी. 1991 से शिव सेना लगातार यहां सात बार जीती. 26 सालों तक सेना यहां अपराजेय रही. लेकिन ओवैसी की पार्टी के इम्तियाज़ जलील जीतने में कामयाब रहे. एआईएमआईएम की वजह से कांग्रेस और एनसीपी को कुछ सीटों पर हारना पड़ा. लोकसभा चुनाव में ओवैसी और प्रकाश अंबेडकर के गठबंधन को 35 लाख वोट मिले.
हैदराबाद के बाहर भी एआईएमआईएम कुछ कर सकती है इसका एहसास पार्टी को 2012 में हुआ. महाराष्ट्र के नांदेड़ में महानगर पालिका के चुनाव हुए. ओवैसी की पार्टी ने 80 में से 13 सीटें जीत लीं. औरंगाबाद में भी पार्टी को स्थानीय चुनाव में अच्छे नतीजे मिले. बस इसके बाद से ही असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र में आना जाना शुरू कर दिया.
असदुद्दीन ओवैसी से कांग्रेस का खेल बिगड़ने लगा है. वे जान बूझ कर हर रैली में कांग्रेस को ही कोसते हैं. उन्हें पता है कांग्रेस को ख़त्म किए बगैर एआईएमआईएम का पतंग नहीं उड़ सकता है. दोनों ही पार्टियों का परंपरागत वोट बैंक एक जैसा है. मराठवाड़ा के इलाक़े से पार्टी ने शुरुआत तो कर दी है. अपना भला हो न हो, कांग्रेस और एनसीपी का नुक़सान तो हो सकता है.
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